Updated: 06 Sep, 2024 12:23 PM
यहां पढ़ें कैसी है फिल्म 'तंगलान'।
रेटिंग : 04
स्टारकास्ट- विक्रम (Vikram),मालविका मोहनन (Malavika Mohanan),डैनियल कैल्टागिरोन (Daniel Caltagirone),पार्वती थिरुवोथु (Parvathy Thiruvothu),पसुपति (Pasupathy)
निर्देशक - पा. रंजीत (Pa. Ranjith)
Thangalaan Movie Review: मनुष्य का लालच किस क़द्र बढ़ रहा है और प्रकृति के साथ उसकी छेड़-छाड़ उसे किस तरह मिटा देती है यह संदेश देती है फिल्म 'तंगलान ' जो 06 सितम्बर यानी आज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। बहुचर्चित मूवी 'आई ' से भला कौन दर्शक परिचित नहीं होगा, इस मास्टरपीस मूवी के एक्टर विजय ने अपनी स्टारडम की परवाह न करते हुए अपने शरीर और चेहरे से ऐसे प्रयोग किए थे जो स्वयं में एक इतिहास है। फिल्म में विजय की एक्टिंग और उनके इस प्रयोग को काफी तारीफें मिले और फिल्म सभी भाषाओं में सुपरहिट रही। अब इस एक्टर की एक ऐसी ही मूवी 'तंगलान' कर्नाटक में कोलार गोल्ड फील्ड्स में काम करने वाले मजदूरों के जीवन पर आधारित सत्य घटनाओं की कहानी है। तमिल में यह फिल्म पहले ही रिलीज हो चुकी है और काफी ख्याति बटोर चुकी है। इस फिल्म में भी विक्रम नए अवतार में हैं जो खूब चर्चित हो रहा है। पा. रंजीत द्वारा निर्देशित इस फिल्म की पटकथा भी पा. रंजीत, तमिल प्रभा और अज़गिया पेरियावन ने साथ मिलकर लिखी है।
कहानी
तंगलान की कहानी 1850 ईस्वी की है जब ब्रिटिश हुकूमत थी। उसी समय एक गांव में तंगलान (विक्रम) अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। तंगलान के पड़दादा कादियां एक आदिवासी थे जो पोन्नार नदी में से सोना निकालने में माहिर थे। गांव का जमींदार तंगलान की जमीन पर कब्ज़ा कर लेता है, इस दौरान ब्रिटिश अफसर लार्ड क्लेमेंट सोने की तलाश में वेपुर गांव में आता है, उसे मालूम है कि इन गांव वालों को सोना निकलने में माहिरता हासिल है। वह इन गांव वालों को सोना निकलने के लिए कहता है। लेकिन गांव वालों को रहस्यमयी किरदार आर्थी का भय है जो जंगल में रहती है और प्रकृति की रक्षा करती है। तंगलान के कहने पर गांव वाले मान जाते हैं और उसके साथ सोना निकालने के लिए चल पड़ते हैं। इस यात्रा के दौरान तंगलान को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है और कई बार उसे आर्थी का आभास होता है जो उसे जंगल रक्षा के लिए वहां से दूर जाने के लिए कहती है। लेकिन तंगलान नहीं मानता और अपनी यात्रा जारी रखता है। कहानी में बीच बीच में कई उपकथाएं भी चलती हैं, जो इसे एक सशक्त कहानी बनाती हैं। लार्ड क्लेमेंट सोने के लालच में किस हद तक जाता है। आर्थी क्या प्रकृति की रक्षा कर पाएगी। तंगलान क्या सोना प्राप्त करने में कामयाब होगा। उसे सोना प्राप्त करने के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ती है। इन सब सवालों के जवाब आपको फिल्म देखकर पता चलेंगे।
एक्टिंग
विक्रम का स्क्रीनप्ले बेहद शानदार और उम्दा है। इस फिल्म में विक्रम ने पांच किरदार निभाएं हैं, जो अपने आप में ही एक मिसाल है। तंगलान मुनि के किरदार में जहां उन्होंने इस किरदार को सजीव करके दिखाया है वहीं अपने पड़दादा के रूप में कादियांम का किरदार भी शानदार ढंग से प्रस्तुत किया है। फिल्म देखकर कहा जा सकता है कि विक्रम उन कलाकारों की श्रेणी में पहले स्थान पर हैं , जो किरदार के लिए कुछ भी कर सकते हैं और किसी भी किरदार में आसानी से ढल जाते हैं। उनका मेकअप इतने शानदार ढंग से किया गया है कि कई बार तो ध्यान से देखने से भी पता नहीं चलता कि ये विक्रम ही हैं। उनकी पत्नी गंगा मां के रूप में पार्वती थिरुवोथु ने भी शानदार एक्टिंग की है। मालविका मोहनन ने आर्थी का किरदार निभाया है जो कबीले तारीफ है। इन सभी कलाकारों ने स्क्रीनप्ले को सशक्त बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अन्य कलाकारों ने भी अपने अपने किरदार बखूबी निभाएं और फिल्म को पूरी तरह से सपोर्ट किया है ।
डायरेक्शन
पा. रंजीत दक्षिण के मशहूर निर्देशक हैं जो इससे पहले मद्रास और कब्बाली जैसी फिल्में बनाकर ख्याति बटोर चुके हैं। तंगलान का हर सीन निर्देशक के गहन दृष्टिकोण का परिचायक है । पा. रंजीत ने कलाकारों का चयन भी इस तरह किया है कि फिल्म देखकर लगता है यह फिल्म इन्ही कलाकारों के लिए ही बानी है। डायलाग डिलवरी, फेस एक्सप्रेशन, देशकाल वातावरण, चरित्र चित्रण, कथा पटकथा और संवादों का एक बेमिसाल उदाहरण है तंगलान। फिल्म का हर सीन रोंगटे खड़े कर देने वाला है । सिनेमेटोग्राफी इतनी शानदार है कि प्रकृति का विराट रूप आंखों के सामने सजीव हो उठता है। एडिटिंग भी कमाल की है, हर सीन इतना जबरदस्त है कि सीट पर ठीके रहने को मजबूर कर देगा ।
म्यूजिक
फिल्म में म्यूजिक जी वी प्रकाश कुमार का है , बैकग्राउंड म्यूजिक जबरदस्त है और फिल्म की कहानी के साथ लय स्थापित करता है। फिल्म में कुल पांच गाने हैं जो काफी मधुर हैं। गीत उमा देवी और अरिवु ने लिखे हैं । फिल्म के तमिल वर्शन के गीत भी हिट रहे और हिंदी वर्शन से भी ऐसी ही आशा की जा सकती है।
कुल मिलकर कहा जा सकता है कि फिल्म परिवार के साथ देखने लायक है हालांकि कुछ सीन इतने वीभत्स हैं कि बच्चे तो क्या बड़े भी देखकर डर जायेंगे लेकिन, ऐसी फिल्मों को आजकल काफी पसंद किया जाता है। फिल्म ने सिद्ध कर दिया है कि दक्षिण के फिल्म निर्माता और निर्देशक पहले अच्छी कहानी ढूंढ़ते हैं फिर कलाकार , और दोनों ही क्षेत्रों में दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री का कोई जवाब नहीं, यह फिल्म देखकर कहा जा सकता है । हां फिल्म में कहीं कहीं चूक भी हुई है लेकिन उसे नज़रअंदाज़ करना उचित रहेगा।
Source: Navodaya Times