चीन की जेल में ईसाइयों के साथ हो रहे जुल्म, पीड़ित ने किए हैरानीजनक खुलासे

Edited By Updated: 21 Sep, 2024 06:27 PM

a chinese christian tortured in jail tells his story

चीन में झू चुनलिन, शेनझेन के रहने वाले एक ईसाई  जिन्हें "अवैध फंडिंग" के आरोप में सजा सुनाई गई , ने जेल में अपने साथ हुए अत्याचारों का खुलासा किया...

Bejing: चीन में झू चुनलिन, शेनझेन के रहने वाले एक ईसाई  जिन्हें "अवैध फंडिंग" के आरोप में सजा सुनाई गई , ने जेल में अपने साथ हुए अत्याचारों का खुलासा किया, जिससे यह साबित होता है कि चीनी जेलों में यातना आम बात है। 11 सितंबर को "वेकुआनवांग" नामक एक चीनी मानवाधिकार संगठन ने झू की लंबी गवाही प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। झू ने बताया कि कैसे उन्हें मई 2017 में शेनझेन के बाओ'आन डिस्ट्रिक्ट डिटेंशन सेंटर से गुआंगडोंग प्रांत की चिंगयुआन जेल के 15वें वार्ड में भेजा गया। यहां उन्हें तथाकथित "शिक्षा और श्रम सुधार" के लिए रखा गया था। वहां, उन्हें "सख्त नियंत्रण और सजा" का सामना करना पड़ा, जिसे कैदियों के बीच "टारगेट शूटिंग" के नाम से जाना जाता था।

 

झू ने बताया कि काम खत्म होने के बाद पुलिस लाउडस्पीकर के जरिए उन कैदियों का नाम पुकारती थी, जिन्हें सजा दी जानी थी। इसके बाद उन्हें भोजन के लिए लाइन में सबसे पीछे खड़ा कर दिया जाता था, और उन्हें सबसे आखिरी में खाना मिलता था। भोजन की गुणवत्ता और मात्रा की कोई गारंटी नहीं होती थी। उन्हें दोपहर में आराम करने की इजाजत नहीं दी जाती थी, और रात को भी उन्हें कतार में खड़ा रहना पड़ता था। कई बार ठंड के मौसम में उन्हें बाहर खड़ा कर दिया जाता था।

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जब झू ने इन सख्त सजा का विरोध किया, तो दो पुलिस अधिकारियों ने उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में भारी बेड़ियां डाल दीं। ये बेड़ियां लगभग 15 किलोग्राम वजनी थीं, जिससे चलना बहुत मुश्किल हो जाता था। झू ने बताया कि वे इन्हें घसीटते हुए मुश्किल से चलते थे, और सीढ़ियां चढ़ते समय कई बार रुकना पड़ता था, ताकि वे गिर न जाएं। यह यातना शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद तकलीफदेह थी। रात के समय भी उन्हें हथकड़ी और बेड़ियों में ही सोना पड़ता था।

 

झू ने कहा कि यह उनकी जिंदगी का सबसे काला दौर था। वे बस चुपचाप सब सहते रहे और भगवान से दया की प्रार्थना करते रहे। आखिरकार, अत्याचार से टूटकर, उन्हें अधिकारियों के आदेश का पालन करते हुए आत्म-आलोचना लिखनी पड़ी, जिसे उन्हें जेल में सबके सामने पढ़ना पड़ा। झू ने बताया कि उनकी ईसाई आस्था ने उन्हें इस अत्याचार को सहने की ताकत दी। उन्हें विश्वास है कि भगवान चीनी लोगों पर नजर रखे हुए हैं और जल्द ही इन अत्याचारों का अंत करेंगे।

 

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