पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर फिर गिरी गाज, ईशनिंदा के आरोप में ईसाई युवक गिरफ्तार

Edited By Updated: 21 Jul, 2025 04:39 PM

christian man arrested on charges of blasphemy in pakistan

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ईशनिंदा के एक कथित मामले ने फिर से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। लाहौर की निशात कॉलोनी में एक ईसाई व्यक्ति आमिर मसीह...

Peshawar: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ईशनिंदा के एक कथित मामले ने फिर से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। लाहौर की निशात कॉलोनी में एक ईसाई व्यक्ति आमिर मसीह को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस अधिकारी जुल्फिकार अली के मुताबिक, शिकायतकर्ता सनूर अली ने पुलिस को बताया कि आमिर मसीह उसकी किराने की दुकान पर आया था। वहां उसने पाकिस्तान छोड़ने की बात कही और अचानक पैगंबर साहब को लेकर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी कर दी।

 

अली ने दावा किया कि उसने मसीह को रोकने की कोशिश की लेकिन वह मौके से भाग गया। इसके बाद अली ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-सी के तहत केस दर्ज हुआ और आमिर मसीह को गिरफ्तार कर लिया गया।हालांकि, ईसाई समुदाय से जुड़े कानूनी संगठन के वकील नेपोलियन कय्यूम का कहना है कि यह मामला पूरी तरह फर्जी है। उनके मुताबिक, आमिर और सनूर अली में बारिश के पानी की निकासी को लेकर झगड़ा हुआ था। नेपोलियन कय्यूम ने कहा, “दोनो कई सालों से एक ही गली में रहते हैं। हाल ही में बारिश के पानी को लेकर विवाद हुआ था। अली ने आरोप लगाया कि मसीह ने अपने घर का पानी गली में बहा दिया, जिससे पानी उसकी दुकान में घुस गया। इसी झगड़े में बदला लेने के लिए उस पर ईशनिंदा का केस कर दिया गया।” 
 

पाकिस्तान में ईशनिंदा एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-सी के तहत पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी साबित होने पर दोषी को मौत की सजा या उम्रकैद दी जा सकती है। कई मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप अक्सर व्यक्तिगत दुश्मनी, जमीन विवाद या अल्पसंख्यकों को डराने के लिए लगाए जाते हैं। देश में ईसाई और हिंदू समुदाय इस कानून का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।पुलिस ने मसीह को गिरफ्तार कर लिया है। वकीलों का कहना है कि अब मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय दिलाना बड़ी चुनौती होगी। स्थानीय चर्च और मानवाधिकार संगठन इस केस पर नज़र रख रहे हैं और सरकार से अपील कर रहे हैं कि झूठे आरोपों के जरिए निर्दोष लोगों को फंसाया न जाए।
 
 

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