Edited By Anu Malhotra,Updated: 29 Dec, 2025 09:54 AM

जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के शोधकर्ताओं ने कैंसर के उपचार में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर पार किया है। कैंसर के इलाज में अब तक सर्जरी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी मुख्य साधन रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में शोधकर्ता...
इंटरनेशनल डेस्क: जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के शोधकर्ताओं ने कैंसर के उपचार में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर पार किया है। कैंसर के इलाज में अब तक सर्जरी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी मुख्य साधन रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में शोधकर्ता शरीर में मौजूद प्राकृतिक सूक्ष्मजीवों पर ध्यान देने लगे हैं। इसी दिशा में जापान के वैज्ञानिकों ने एक अनोखा प्रयोग किया है, जिसमें आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की क्षमता का इस्तेमाल कर कैंसर को मात दी गई।
जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के प्रोफेसर एजिरो मियाको की अगुवाई में की गई इस स्टडी में मेंढक, न्यूट और छिपकली जैसी प्रजातियों से आंतों के 45 अलग-अलग बैक्टीरिया अलग किए गए। इनमें से नौ में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता पाई गई। लेकिन सबसे प्रभावशाली बैक्टीरिया Ewingella americana निकला, जो जापानी ट्री फ्रॉग की आंत में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और इसे किसी तरह जेनेटिक रूप से नहीं बदला गया।
चूहों में परीक्षण के चौंकाने वाले नतीजे
शोधकर्ताओं ने इस बैक्टीरिया को चूहों में कोलोरेक्टल कैंसर के लिए इंजेक्ट किया। परिणाम अभूतपूर्व थे – सिर्फ एक डोज ने ट्यूमर को पूरी तरह समाप्त कर दिया। शोध में यह भी देखा गया कि Ewingella americana की क्षमता कीमोथेरेपी दवा डॉक्सोरूबिसिन और आधुनिक इम्यूनोथेरेपी से भी अधिक प्रभावशाली थी।
कैसे करता है यह बैक्टीरिया काम?
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सीधा हमला: ट्यूमर में ऑक्सीजन की कमी के कारण यह बैक्टीरिया तेजी से बढ़ता है और 24 घंटे के अंदर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देता है।
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Immune System को एक्टिव करना: यह T सेल, B सेल और न्यूट्रोफिल्स को ट्यूमर तक बुलाता है। ये कोशिकाएं TNF-α और IFN-β जैसे केमिकल छोड़ती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करते हैं।
सुरक्षा जांच:
सबसे बड़ा सवाल यह था कि क्या यह बैक्टीरिया स्वस्थ अंगों को नुकसान पहुंचाएगा। शोध में पाया गया कि यह बैक्टीरिया 24 घंटे में खून से साफ हो गया और लिवर, किडनी, दिल या फेफड़ों में जमा नहीं हुआ। हल्की सूजन जरूर देखी गई, लेकिन यह तीन दिन में अपने आप ठीक हो गई। 60 दिन तक निगरानी में कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं दिखाई दिया।
भविष्य की संभावनाएं
हालांकि यह शोध अभी प्रारंभिक स्तर पर है और तुरंत इलाज के रूप में लागू नहीं किया जा सकता, लेकिन यह दर्शाता है कि प्राकृतिक बैक्टीरिया भविष्य में कैंसर के इलाज में बड़ा योगदान दे सकते हैं। वैज्ञानिक इसे ब्रेस्ट कैंसर और पैंक्रियाटिक कैंसर पर भी आजमाने की योजना बना रहे हैं। अगर परिणाम ऐसे ही सकारात्मक रहे, तो आने वाले समय में कैंसर का इलाज कम दर्दनाक और ज्यादा प्राकृतिक हो सकता है।