महिला में दुनिया का सबसे दुर्लभ व नया ब्लड ग्रुप मिला, मेडिकल जगत भी हैरान, रख दिया ये नाम

Edited By Updated: 15 Jul, 2025 12:33 PM

scientists discover new rare blood type during routine test

दुनिया में ब्लड ग्रुप्स को लेकर अब तक आपने ए, बी, एबी और ओ जैसे सामान्य नाम ही सुने होंगे। लेकिन फ्रांस के ग्वाडेलूप में रहने वाली 68 साल की एक महिला ने मेडिकल साइंस को चौंका...

International Desk: दुनिया में ब्लड ग्रुप्स को लेकर अब तक आपने ए, बी, एबी और ओ जैसे सामान्य नाम ही सुने होंगे। लेकिन फ्रांस के ग्वाडेलूप में रहने वाली 68 साल की एक महिला ने मेडिकल साइंस को चौंका दिया है। वैज्ञानिकों ने उसके खून में एक ऐसा ब्लड ग्रुप खोजा है, जो आज तक किसी इंसान में नहीं मिला था। इस ब्लड ग्रुप को नाम दिया गया है ‘ग्वाडा नेगेटिव’। 
 

48वां आधिकारिक ब्लड ग्रुप 
इस अनोखे ब्लड ग्रुप को हाल ही में मिलान में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT)  के सम्मेलन में मान्यता दी गई है। इस खोज के बाद ‘ग्वाडा नेगेटिव’ को दुनिया के 48वें आधिकारिक ब्लड ग्रुप सिस्टम के रूप में दर्ज किया गया है। यह ब्लड ग्रुप फ्रैंच ब्लड एस्टैब्लिशमेंट (FBE) ने खोजा है।
 

मेडिकल साइंस के लिए नई पहेली 
वैज्ञानिकों ने इस ब्लड ग्रुप को EMM-नेगेटिव सिस्टम  नाम दिया है। आमतौर पर हर इंसान के रेड ब्लड सेल्स में EMM एंटीजन पाया जाता है। लेकिन इस महिला के खून में यह एंटीजन पूरी तरह गायब है। यह बात मेडिकल साइंस के लिए एक बड़ा सवाल बन गई क्योंकि अब तक यह माना जाता था कि EMM हर इंसान में होता ही है।

 

2011 में हुई थी पहली बार जांच 
ये कहानी 2011 में शुरू हुई, जब महिला का ऑपरेशन होने वाला था और ब्लड टेस्ट के दौरान डॉक्टरों को उसके खून में ऐसी एंटीबॉडी मिली, जो किसी भी ज्ञात ब्लड ग्रुप से मेल नहीं खा रही थी। उस समय तकनीक इतनी विकसित नहीं थी कि पता चल सके यह ब्लड ग्रुप आखिर है क्या। 2019 में जब नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS) तकनीक आई, तब पुराने सैंपल्स की दोबारा जांच हुई और धीरे-धीरे इस अनोखे ब्लड ग्रुप का रहस्य सुलझाया गया।

 

जिंदगीभर सिर्फ अपने खून पर निर्भर 
FBI के प्रमुख बायोलॉजिस्ट थियरी पेयरार्ड  के मुताबिक, यह दुर्लभ ब्लड ग्रुप महिला को उसके माता-पिता से म्यूटेशन के कारण मिला है। इसका मतलब यह है कि अगर इस महिला को कभी खून की जरूरत पड़ी, तो उसे दुनिया में सिर्फ खुद का खून ही चढ़ाया जा सकता है कोई दूसरा डोनर नहीं मिल सकता।

 

हेल्थकेयर को नई दिशा 
FBE का कहना है कि हर नया ब्लड ग्रुप सिस्टम चिकित्सा विज्ञान को और मजबूत बनाता है, खासकर उन मरीजों के लिए जिनका ब्लड टाइप दुर्लभ होता है। यह खोज दुनिया के ब्लड बैंक सिस्टम को और ज्यादा सतर्क और मजबूत बनाने में मदद करेगी।

 

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