UAE vs Saudi conflict UAE : सऊदी-यूएई तनाव का भारत पर भी असर संभव, जानिए क्यों बढ़ी चिंता

Edited By Updated: 30 Dec, 2025 08:16 PM

uae vs saudi conflict the saudi uae tension could also affect india

सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। इसकी ताजा वजह सऊदी अरब द्वारा यमन के बंदरगाह शहर मुकाला पर की गई बमबारी है। सऊदी अरब का दावा है कि यह हमला एक अलगाववादी संगठन के लिए यूएई से भेजी गई हथियारों की खेप को...

इंटरनेशनल डेस्क : सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है। इसकी ताजा वजह सऊदी अरब द्वारा यमन के बंदरगाह शहर मुकाला पर की गई बमबारी है। सऊदी अरब का दावा है कि यह हमला एक अलगाववादी संगठन के लिए यूएई से भेजी गई हथियारों की खेप को निशाना बनाकर किया गया। इस घटनाक्रम के बाद खाड़ी क्षेत्र में नए सिरे से भू-राजनीतिक टकराव की आशंका गहरा गई है।

इस बढ़ते तनाव पर भारत भी करीबी नजर बनाए हुए है। भारत को आशंका है कि अगर सऊदी अरब और यूएई के बीच टकराव बढ़ता है तो इसके तात्कालिक और दूरगामी दोनों तरह के असर भारत पर पड़ सकते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि दोनों देशों में लाखों भारतीय नागरिक रहते हैं और भारत के इन दोनों खाड़ी देशों से मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक संबंध हैं।

PunjabKesari

भारत- यूएई संबंध

कूटनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और यूएई के रिश्ते बीते एक दशक में रणनीतिक साझेदारी में बदल चुके हैं। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। दोनों देश रक्षा, व्यापार, निवेश और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं। भारत और यूएई भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEEC) का भी हिस्सा हैं, जो भारत को यूरोप से जोड़ने की एक अहम पहल मानी जा रही है। इसके अलावा भारत, यूएई, इजरायल और अमेरिका I2U2 फ्रेमवर्क में भी शामिल हैं। ऊर्जा आयात के क्षेत्र में भी भारत और यूएई के बीच सहयोग बना हुआ है।

भारत- सऊदी अरब संबंध

भारत के सऊदी अरब के साथ भी गहरे और बहुआयामी संबंध हैं। दोनों देश रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर करीबी सहयोगी हैं। ऊर्जा, निवेश और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर दोनों के बीच मजबूत साझेदारी है।

PunjabKesari

सऊदी अरब भारत के लिए केवल एक तेल आपूर्तिकर्ता नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक आर्थिक और रणनीतिक साझेदार माना जाता है। वहीं भारत भी सऊदी अरब की खाद्य सुरक्षा और कुशल मानव संसाधन की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाता है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सैन्य और रक्षा सहयोग भी बढ़ा है।

सऊदी- यूएई तनाव से भारत क्यों चिंतित

विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी अरब और यूएई दोनों के साथ भारत के मजबूत रिश्ते उसे इस टकराव के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बनाते हैं। यदि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो इसका असर यमन, लाल सागर और हॉर्न ऑफ अफ्रीका तक फैल सकता है, जहां भारत के अहम रणनीतिक और व्यापारिक हित जुड़े हैं। भारत के लिए बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य और आसपास के समुद्री मार्ग बेहद अहम हैं। इन्हीं रास्तों से भारत की ऊर्जा आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का बड़ा हिस्सा गुजरता है। भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत से अधिक कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें खाड़ी क्षेत्र की बड़ी भूमिका है। ऐसे में लाल सागर या अरब सागर में किसी भी तरह की अस्थिरता से माल ढुलाई महंगी हो सकती है और ऊर्जा कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है।

PunjabKesari

भारतीय कामगारों पर संभावित असर

खाड़ी देशों में करीब 90 लाख भारतीय नागरिक रहते और काम करते हैं, जिनमें सबसे बड़ी संख्या यूएई और सऊदी अरब में है। इन भारतीय कामगारों की सुरक्षा और रोजगार क्षेत्रीय स्थिरता से सीधे जुड़े हुए हैं। यदि दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति बनती है, तो इसका सीधा असर भारतीय समुदाय पर पड़ सकता है। यही कारण है कि भारत की प्राथमिकता तनाव को कम करने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की है।

कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, भारत किसी भी हाल में सऊदी अरब और यूएई के बीच किसी एक पक्ष का खुलकर समर्थन नहीं करेगा। हालांकि, सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को लेकर भारत की चिंता बढ़ी है। साथ ही, खाड़ी क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव भी एक अहम रणनीतिक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, जिस पर अमेरिका समेत कई देश नजर बनाए हुए हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!