अगले 7 सालों में 3.5 करोड़ भारतीय खो देंगे अपनी नौकरी!...सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Mar, 2023 01:24 PM

3 5 crore indians will lose their jobs in the next 7 years

मौसम में लगातार बदलाव आ रहे हैं। फरवरी-मार्च में गर्मी अपना असर दिखाने लग गई है तो वहीं ग्लेशियर पिछलने लग गए हैं। दुनियाभर के संगठन लगातार ग्लोबल वार्मिंग को लेकर सचेत कर रहे हैं।

नेशनल डेस्क: मौसम में लगातार बदलाव आ रहे हैं। फरवरी-मार्च में गर्मी अपना असर दिखाने लग गई है तो वहीं ग्लेशियर पिछलने लग गए हैं। दुनियाभर के संगठन लगातार ग्लोबल वार्मिंग को लेकर सचेत कर रहे हैं। कई लोग समझते है कि शायद इस ग्लोबल वार्मिंग का उनकी जिदंगी पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं है। अगर एक्सपर्ट की मानें तो आने वाले समय में आम लोगो की जिदंगी पर इसका असर दिखेगा।

 

साल 2030 तक देश में करोड़ों नौकरियां इसी वजह से छिन जाएंगी। पिछले साल के आखिर में यह अनुमान लगाया गया था, जिसमें कहा गया था कि साल-दर-साल कितना तापमान बढ़ सकता है। यह अनुमान सही भी साबित हो रहा है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट 'वर्किंग ऑन अ वार्मर प्लानेट: इंपेक्ट ऑफ हीट स्ट्रेस ऑन लेबर प्रोडक्टिविटी' में माना गया कि हीट स्ट्रेस की वजह से काम करने के घंटे भी कम होंगे, जिसका सीधा असर नौकरी पर पड़ेगा।

 

इसलिए कम होंगे काम के घंटे

गर्मी की वजह से शरीर में काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है। आमतौर पर टेंपरेचर 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाते ही असर होने लगता है। गर्मी की वजह से काम कर पाना मुश्किल हो जाता है। खुले में काम करने वाले मजदूर और किसान सबसे पहले गर्मी की चपेट में आते हैं। गर्मी की वजह से  ऑक्युपेशन हेल्थ रिस्क भी इससे बढ़ जाता है। कई ऑफिस में हवा की क्रासिंग का रास्ता नहीं होता जिससे घुटन जैसा माहोल बनता है ऐसे में लोग ज्यादा समय तक सीट पर काम करने में असहज हो जाते हैं।


नुकसान की गणना कैसे?

आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक सदी के आखिर तक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। भारत में यह ऐसतन ज्यादा हो सकता है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान के चुरू में गर्मियों में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस है तो यह बढ़कर 50 हो सकता है। अनुमानित तौर पर अगले 7 सालों में गर्मी में वर्किंग आवर्स ग्लोबली 2.2 प्रतिशत कम हो जाएंगे। इसकी सीधा असर काम पर होगा। ऐसे में ऑफिस वाले कर्मचारियों ने काम को खत्म करवाने के लिए ड्यूटी टाइम बढ़वा सकते हैं या फिर कर्मचारियों को काम से निकाल सकते हैं। काम का प्रेशर बढ़ने से बहुत से लोग खुद ही काम छोड़ देंगे, इससे आर्थिक नुकसान भी होगा।


इन देशों को ज्यादा नुकसान

दक्षिण एशियाई देशों को सबसे ज्यादा घाटा होगा, इसमें भारत टॉप पर है। साल 1995 में भी हीट वेव के चलते लगभग 4.3% वर्किंग आवर्स कम हो गए थे जोकि लगभग दो करोड़ से ज्यादा नौकरियां जाने जितना था। अगले 7 सालों में गर्मी और बढ़ेगी, जिससे लगभग साढ़े 3 करोड़ नौकरियां जाएंगी। काम के घंटे कम होने से पैदावार भी घटेगी, जिससे महंगाई और बढ़ेगी। 

 

विनाश के लोग खुद जिम्मेदार

ग्लोबल वार्मिंग के लिए लोग खुद जिम्मेदार है। बड़े घरों के लिए और ऊंची-ऊंची बिल्डिंग बनाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं जिससे बारिश भी अनियमित हो गई। ज्यादा प्लास्टिक यूज की वजह से धरती अनउपजाऊ हो रही है। इंसानों की वजह से धरती पर स्पीशीज के गायब होने की रफ्तार लगभग 100 गुना तेज हो चुकी है. यानी हमारी वजह से 100 गुनी स्पीड से जीव-जंतुओं का विनाश हो रहा है. इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग ही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही लोग घरों में AC लगवा लें या फिर गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ों पर चले जाएं लेकिन अगला महाविनाश गर्मी की वजह से ही आएगा। लगभग 65.5 मिलियन साल पहले आई इस प्रलय की वजह एक एस्टेरॉयड का धरती से टकराना था लेकिन भविष्य का विनाश कुदरती न होकर, हमारी वजह से होगा, ऐसा माना जा रहा है।

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