ये पैगाम उस तक कभी नहीं पहुंच पाएगा... ओडिशा रेल हादसे में पटरियों पर बिखरी मिली एक डायरी

Edited By rajesh kumar,Updated: 04 Jun, 2023 09:19 PM

a diary found scattered on the railway tracks in odisha train accident

बालासोर ट्रेन हादसे के बाद पटरियों पर मुसाफिरों का सामान इधर उधर फैला पड़ा है। पटरियों के बीच एक डायरी भी पड़ी है.... हवा के साथ डायरी के पन्ने फड़फड़ाते हैं....पन्नों पर किसी के लिए, किसी ने पैगाम ए मुहब्बत लिखा था।

नेशनल डेस्क: बालासोर ट्रेन हादसे के बाद पटरियों पर मुसाफिरों का सामान इधर उधर फैला पड़ा है। पटरियों के बीच एक डायरी भी पड़ी है.... हवा के साथ डायरी के पन्ने फड़फड़ाते हैं....पन्नों पर किसी के लिए, किसी ने पैगाम ए मुहब्बत लिखा था। अब हादसे के बाद ये पैगाम उस तक कभी नहीं पहुंच पाएगा जिसके लिए बांग्ला में किसी ने अपने हाथ से ये कविताएं लिखी थीं। डायरी के एक फटे पन्ने पर एक तरफ हाथियों, मछलियों और सूरज के रेखा चित्र बने हैं।

'मुसाफिर का अभी तक कोई पता नहीं'
सफर में किसी यात्री ने खाली वक्त में इन्हें लिखा होगा। हालांकि इस मुसाफिर की पहचान अब तक पता नहीं हो सकी है। कविता कुछ इस तरह से है, ‘अल्पो अल्पो मेघा थाके, हल्का ब्रिस्टी होय, चोटो चोटो गोलपो ठेके भालोबासा सृष्टि होय" (ठहरे ठहरे बादलों से बरसती हैं बूंदे, जो हमने तुमने सुनी थी कहानियां, उनमें खिलती हैं मुहब्बत की कलियां)। इन पन्नों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं।

ये पंक्तियां दिल को चीरने वाली हैं
एक और अधूरी कविता कहती है, “भालोबेशी तोके चाई साराखोन, अचिस तुई मोनेर साठे... (मुझे हर वक्त तुम्हारी जरूरत है, हर वक्त मेरे दिल-ओ-दिमाग में तुम ही छाई हो)। सोशल मीडिया पर लोगों ने इन कविताओं पर कहा कि किसी के प्रेम में डूब कर लिखी गई ये पंक्तियां दिल को चीरने वाली हैं, ओह ! जिंदगी कैसी पहेली है। स्थानीय पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अब तक इस डायरी पर दावा करने कोई नहीं आया है। लिखने वाले के साथ क्या हुआ ? इसकी भी जानकारी नहीं है।

 

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