केरल में कुत्ते के काटने से दो मौतें होने के बाद, तमिलनाडु ने जारी की रेबीज रोकथाम की एडवाइजरी

Edited By Updated: 05 Jul, 2025 12:39 PM

after two deaths due to dog bites in kerala tamil nadu issues advisory

केरल में हाल ही में दो बच्चों की मौत आवारा कुत्तों के काटने से हुई, जिनमें रेबीज वायरस पाया गया। इस घटना के बाद तमिलनाडु के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी और दिशा-निर्देश जारी किए हैं। तमिलनाडु के सार्वजनिक...

नेशनल डेस्क: केरल में हाल ही में दो बच्चों की मौत आवारा कुत्तों के काटने से हुई, जिनमें रेबीज वायरस पाया गया। इस घटना के बाद तमिलनाडु के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी और दिशा-निर्देश जारी किए हैं। तमिलनाडु के सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा निदेशालय ने कुत्ते के काटने की सही पहचान करने और समय पर उचित इलाज देने पर जोर दिया है। इलाज में पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) शामिल है, जिसमें रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन (आरआईजी) और एंटी-रेबीज वैक्सीन (एआरवी) शामिल होते हैं।

डॉ. टीएस सेल्वाविनायगम, सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक, ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा वायरस है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। अगर इसके लक्षण दिखने लगें तो बचना लगभग नामुमकिन होता है। इसलिए टीका जल्दी और सही समय पर लगाना बहुत जरूरी है।

केरल की मौतों का मुख्य कारण सही समय पर पीईपी शुरू न करना, गहरे घावों में आरआईजी न लगाना, घावों की सफाई न करना, या टीकाकरण में देरी होना बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गहरे या खून बहने वाले घावों में आरआईजी बहुत जरूरी है, क्योंकि यह वायरस को फैलने से रोकता है।विशेष रूप से चेहरे या सिर पर हुए काटने वाले घावों में तुरंत उपचार आवश्यक होता है, क्योंकि थोड़ी भी देरी जानलेवा साबित हो सकती है। घाव को कम से कम 15 मिनट तक साबुन और पानी से धोना सबसे पहला और जरूरी कदम है।

एडवाइजरी में बच्चों को कुत्ते के काटने से ज्यादा खतरा बताया गया है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वे सही तरीके से काटने की जानकारी नहीं दे पाते।
स्वास्थ्य विभाग ने कुत्ते के काटने की गंभीरता को समझने के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं:

  • अगर जानवर ने केवल छुआ, खाना खिलाया या साफ त्वचा पर चाटा तो कोई उपचार जरूरी नहीं।
  • अगर खरोंच या घाव मामूली हो और खून न निकले, तो केवल वैक्सीन लगाना जरूरी है।
  • अगर काटने या खरोंच से खून निकला हो या टूटी त्वचा पर चाटा हो, तो वैक्सीन के साथ-साथ आरआईजी भी देना अनिवार्य है।

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