Edited By Shubham Anand,Updated: 25 Dec, 2025 08:34 PM

यूपी एसटीएफ ने आयुष्मान भारत योजना में सेंध लगाने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है। लखनऊ में छापेमारी के दौरान मास्टरमाइंड चंद्रभान वर्मा सहित सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। यह गिरोह आधुनिक तकनीक से OTP बाईपास कर और फैमिली आईडी में...
नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश विशेष कार्य बल (UP STF) ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना में चल रहे एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में एसटीएफ ने योजना में सेंध लगाने वाले एक संगठित गिरोह का खुलासा करते हुए उसके मास्टरमाइंड समेत कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि यह गिरोह तकनीकी तरीकों से OTP बाईपास कर और दस्तावेजों में हेराफेरी करके अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवा रहा था।
कैसे होता था पूरा फर्जीवाड़ा
एसटीएफ की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अधिकारियों के अनुसार, गिरोह आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग कर आयुष्मान कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में आने वाले OTP को बाईपास कर देता था। इसके बाद किसी अन्य व्यक्ति की वैध ‘फैमिली आईडी’ में बाहरी या पूरी तरह अपात्र लोगों के नाम जोड़ दिए जाते थे। इस तरह गिरोह ने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाए, जो योजना के दायरे में ही नहीं आते थे।
जांच में यह भी सामने आया है कि गिरोह ने ISA (Implementation Support Agency) और SHA (State Health Agency – PMJAY) की प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करते हुए हजारों अपात्र आवेदनों को अप्रूव करवाया। इन फर्जी आयुष्मान कार्डों का इस्तेमाल कर निजी और अन्य अस्पतालों में इलाज के नाम पर सरकार से करोड़ों रुपये का भुगतान हासिल किया गया।
लखनऊ में छापेमारी, सात आरोपी गिरफ्तार
एसटीएफ को इस गिरोह के बारे में एक सटीक सूचना मिली थी, जिसके आधार पर लखनऊ के विजय नगर कॉलोनी, खरगापुर (थाना गोमतीनगर विस्तार) इलाके में छापेमारी की गई। इस दौरान गिरोह के मास्टरमाइंड समेत सात लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों के नाम इस प्रकार हैं—
चंद्रभान वर्मा (मास्टरमाइंड)
राजेश मिश्रा
सुजीत कनौजिया
सौरभ मौर्य
विश्वजीत सिंह
रंजीत सिंह
अंकित यादव
बरामद हुआ डिजिटल डेटा और अहम दस्तावेज
छापेमारी के दौरान एसटीएफ ने भारी मात्रा में संदिग्ध और आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है। इसमें कूटरचित आयुष्मान कार्ड से जुड़ा डिजिटल डेटा, फर्जीवाड़े में इस्तेमाल किए गए लैपटॉप, मोबाइल उपकरण और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि इस गिरोह ने हजारों फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाकर सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार, मामले की जांच अभी जारी है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस नेटवर्क से और कौन-कौन लोग जुड़े हुए हैं तथा इसमें किसी अस्पताल या अन्य एजेंसियों की भूमिका तो नहीं रही। इस कार्रवाई को आयुष्मान भारत योजना में पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।