Big Alert: दुनिया के कई हिस्सों में छा सकता है अंधेरा, जानिए क्या आने वाला है 'पावर ब्लैकआउट युग'? वजह डराने वाली

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 04 Jul, 2025 02:59 PM

ai can bring darkness to the world hitachi energy ceo warns

क्या आप सोच सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी आधुनिक तकनीक हमारी बिजली आपूर्ति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है? जी हाँ! रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी ट्रांसफॉर्मर कंपनी हिताची एनर्जी ने चेतावनी दी है कि AI की वजह से बिजली की मांग...

नेशनल डेस्क। क्या आप सोच सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी आधुनिक तकनीक हमारी बिजली आपूर्ति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है? जी हाँ! रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी ट्रांसफॉर्मर कंपनी हिताची एनर्जी ने चेतावनी दी है कि AI की वजह से बिजली की मांग में अचानक उछाल आया है जिससे ग्लोबल पावर सप्लाई चरमरा सकती है। इसका सीधा असर ये होगा कि दुनिया के कई हिस्सों में अंधेरा छा सकता है। कंपनी के CEO आंद्रियास शीरेनबेक ने बताया, “AI डेटा सेंटर एक मिनट में 10 गुना ज़्यादा बिजली खपत कर सकते हैं… कोई भी दूसरा उद्योग ऐसा नहीं करता!”

PunjabKesari

AI से बिजली की खपत में उछाल: 3 बड़ी समस्याएँ

AI के बढ़ते इस्तेमाल से बिजली की खपत में ज़बरदस्त उछाल आया है जिससे तीन बड़ी समस्याएँ खड़ी हो रही हैं:

  1. बिजली की खपत में उछाल:

    • AI मॉडल ट्रेनिंग के दौरान डेटा सेंटर सेकंडों में 10 गुना ज़्यादा बिजली खींचते हैं।

    • उदाहरण: अगर सामान्य खपत 100 यूनिट है, तो AI अचानक 1,000 यूनिट मांग सकता है!

  2. अनियमित रिन्यूएबल एनर्जी:

    • सोलर/विंड एनर्जी पहले से ही अनिश्चित है और AI की अत्यधिक मांग ने बाज़ार में और अनिश्चितता बढ़ा दी है।

  3. ग्रिड पर दबाव और अस्थिरता:

    • अचानक और अप्रत्याशित रूप से बिजली की इतनी ज़्यादा मांग से मौजूदा बिजली ग्रिड पर भारी दबाव पड़ रहा है जिससे उनकी स्थिरता प्रभावित हो रही है।

 

AI की बिजली खपत: चौंकाने वाले आँकड़े

AI की बिजली खपत के आँकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं:

  • एक Google AI सर्च = 10 सामान्य सर्च के बराबर बिजली खर्च करता है।

  • ChatGPT जैसे मॉडल को ट्रेन करने में 1,300 मेगावाट-घंटे बिजली लगती है जो एक अमेरिकी घर की 120 साल की बिजली खपत के बराबर है!

  • एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक AI डेटा सेंटर्स आज के मुकाबले 10 गुना ज़्यादा बिजली की खपत करेंगे।

PunjabKesari

AI को इतनी बिजली क्यों चाहिए?

AI को इतनी ज़्यादा बिजली की ज़रूरत कई कारणों से होती है:

  • मॉडल ट्रेनिंग: GPT-4 जैसे AI मॉडल्स को ट्रेन करने में 10,000 से ज़्यादा GPU (कंप्यूटर चिप्स) लगते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि हर GPU एक एयर कंडीशनर जितनी बिजली खींचता है।

  • डेटा सेंटर्स का गर्म होना: AI सर्वरों को ठंडा रखने में 40% अतिरिक्त बिजली खर्च होती है क्योंकि वे भारी कंप्यूटेशन के दौरान बहुत गर्मी पैदा करते हैं।

  • 24/7 काम: AI मॉडल्स (जैसे मेटा का लामा) कभी सोते नहीं हैं वे लगातार सीखते और काम करते रहते हैं जिससे उनकी ऊर्जा की मांग बनी रहती है।

 

यह भी पढ़ें: Shefali Jariwala: शेफाली की मौत के बाद 7 दिन बाद पति पराग ने तोड़ी चुप्पी, पोस्ट में बयां किया वो राज जो किसी को नहीं पता था

 

दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?

AI की बढ़ती बिजली खपत का दुनिया भर पर गंभीर असर दिखना शुरू हो गया है:

  • अमेरिका: टेक्सास में AI डेटा सेंटर्स ने 2023 में बिजली ग्रिड को ध्वस्त कर दिया था।

  • यूरोप: आयरलैंड में डेटा सेंटर्स पर बैन लगा दिया गया था, क्योंकि वे देश की 32% बिजली खा रहे थे!

  • भारत: मुंबई और बेंगलुरु में AI कंपनियों ने डीजल जनरेटर पर स्विच करना शुरू कर दिया है जिसका नतीजा यह होगा कि बिजली महँगी होगी और कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ेगा जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

 

क्या हो सकता है समाधान?

हिताची एनर्जी और अन्य विशेषज्ञ इस समस्या से निपटने के लिए कुछ समाधान सुझा रहे हैं:

  • सरकारें AI डेटा सेंटर्स पर नियम लगाएँ: जिस तरह स्टील प्लांट्स को पहले बताना पड़ता है कि वे कितनी बिजली लेंगे उसी तरह AI को भी “पीक टाइम” में बिजली कम लेने के निर्देश दिए जाएँ।

  • रिन्यूएबल एनर्जी के साथ AI को सिंक करें: AI ट्रेनिंग उस वक़्त की जाए जब सोलर/विंड एनर्जी ज़्यादा उपलब्ध हो (जैसे दिन के वक़्त)। इससे नवीकरणीय ऊर्जा का बेहतर उपयोग हो पाएगा।

अगर इन चुनौतियों का समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो AI जैसी क्रांतिकारी तकनीक दुनिया के लिए एक बड़ा बिजली संकट खड़ा कर सकती है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!