अगर पर्सनल लोन लेने वाले की अचानक हो जाए मौत, तो किसे चुकाना होगा कर्ज?

Edited By Updated: 27 Dec, 2025 11:28 PM

if a personal loan borrower dies unexpectedly who will be responsible for repay

जिंदगी में इमरजेंसी कभी भी बिना चेतावनी आ सकती है। अचानक बीमारी, इलाज या किसी जरूरी खर्च के समय जब सेविंग्स नाकाफी पड़ जाएं, तो पर्सनल लोन एक आसान विकल्प बन जाता है। अच्छी बात यह है कि पर्सनल लोन लेने के लिए न तो कोई गारंटी देनी पड़ती है और न ही...

नेशनल डेस्क: जिंदगी में इमरजेंसी कभी भी बिना चेतावनी आ सकती है। अचानक बीमारी, इलाज या किसी जरूरी खर्च के समय जब सेविंग्स नाकाफी पड़ जाएं, तो पर्सनल लोन एक आसान विकल्प बन जाता है। अच्छी बात यह है कि पर्सनल लोन लेने के लिए न तो कोई गारंटी देनी पड़ती है और न ही मकान या गाड़ी गिरवी रखनी होती है। लेकिन एक सवाल अक्सर लोगों को परेशान करता है- अगर पर्सनल लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाए, तो बचा हुआ कर्ज कौन चुकाएगा?

दरअसल, पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन होता है। यानी इसके बदले बैंक के पास कोई ठोस संपत्ति गिरवी नहीं होती। यही वजह है कि उधारकर्ता की मौत के बाद बैंक सीधे किसी के घर या जमीन पर कब्जा नहीं करता, बल्कि तय नियमों और प्रक्रिया के तहत आगे कदम उठाता है।

लोन इंश्योरेंस है तो परिवार को राहत

आजकल कई बैंक और फाइनेंस कंपनियां पर्सनल लोन के साथ लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस का विकल्प देती हैं। अगर लोन लेते समय यह बीमा लिया गया हो और बाद में उधारकर्ता की मृत्यु हो जाए, तो बैंक बीमा कंपनी से क्लेम करता है। पॉलिसी की शर्तों के मुताबिक बीमा कंपनी बकाया लोन की रकम चुका देती है और लोन खाता बंद कर दिया जाता है। ऐसे में परिवार पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं पड़ता। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह बीमा अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक होता है।

बीमा न होने पर बैंक क्या करता है?

अगर मृतक ने पर्सनल लोन का कोई बीमा नहीं कराया था, तो बैंक उसकी छोड़ी हुई संपत्ति से बकाया राशि वसूल कर सकता है। इसमें सेविंग अकाउंट का बैलेंस, फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, म्यूचुअल फंड, सोना या जमीन-जायदाद शामिल हो सकती है। बैंक सिर्फ उतनी ही रकम वसूल सकता है, जितनी संपत्ति मृतक के नाम पर मौजूद हो।

परिवार पर सीधा कर्ज नहीं डाला जा सकता

यह जानना बेहद जरूरी है कि मृतक के परिवार या नॉमिनी को पर्सनल लोन चुकाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जब तक वे सह-उधारकर्ता या गारंटर न हों। अगर कोई गारंटर नहीं है और संपत्ति से भी पूरी रकम नहीं निकलती, तो कई मामलों में बैंक को उस लोन को नुकसान मानकर राइट-ऑफ करना पड़ता है।

परिवार को क्या करना चाहिए?

लोन लेने वाले की मृत्यु होने पर परिवार को सबसे पहले संबंधित बैंक या फाइनेंस कंपनी को इसकी सूचना देनी चाहिए और डेथ सर्टिफिकेट जमा करना चाहिए। इसके बाद बैंक अपने नियमों के अनुसार बीमा क्लेम या रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करता है। समय पर जानकारी देने से परिवार अनावश्यक मानसिक और कानूनी परेशानियों से बच सकता है।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!