Edited By Pardeep,Updated: 04 Jul, 2025 06:11 AM

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन (RJD–कांग्रेस–लेफ्ट) का हिस्सा बनने की मांग की है।
नेशनल डेस्कः असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन (RJD–कांग्रेस–लेफ्ट) का हिस्सा बनने की मांग की है। इसके लिए पार्टी के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव को औपचारिक पत्र भेजा है।
चिट्ठी में क्या लिखा है?
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अख्तरुल ईमान ने कहा कि 2015 से बिहार में AIMIM लगातार सक्रिय है और उनका उद्देश्य “न्यूट्रल सेक्युलर वोटों का बिखराव नहीं होने” देना है।
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उन्होंने चिट्ठी में लिखा: “सेक्युलर वोट बटने से साम्प्रदायिक ताकतों को बढ़त मिलती है। इसलिए हमें मिलकर लड़ना चाहिए।”
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AIMIM ने 2020 और 2024 के पहले चुनावों में Mahagathbandhan में हिस्सा लेने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो सके।
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2025 का चुनाव नजदीक आने के साथ अब एक बार फिर एकजुट विपक्ष की जरूरत पर जोर दिया गया है।
ओवैसी ने क्या कहा है?
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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा: “अगर बिहार में बीजेपी को रोकना है, तो हमारा प्रस्ताव स्वीकार करें।”
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उन्होंने यह भी कहा है कि AIMIM इंडिया ब्लॉक (महागठबंधन) में मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार है, वरना पार्टी पूरे राज्य में अकेले भी चुनाव लड़ने को तैयार है।
रिकनीशन, सीटों की मांग और प्रतिक्रिया
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AIMIM मौके का फायदा उठाकर सिमांचल और अन्य मुस्लिम-बहुल इलाकों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाह रही है।
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अख्तरुल ईमान ने मीडिया से कहा कि उन्होंने कई राजद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से बात की है, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक जवाब नहीं मिला।
प्रतिस्पर्धा-कौन क्या कह रहा है?
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RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि गठबंधन का निर्णय आलाकमान लेगा, लेकिन उन्होंने यह तारीफ की कि युवा नेता तेजस्वी यादव के समर्थन में जनता है। उन्होंने AIMIM पर "वोट कटर" होने का आरोप लगाया।
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कांग्रेस में भी Tejashwi को मुख्यमंत्री चेहरा बनाए जाने पर चर्चा हो रही है, जिससे राजनीति में तीसरे मोर्चे की दिशा स्पष्ट होती नजर आ रही है।
महागठबंधन पर असर और चुनावी संभावनाएं
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AIMIM के शामिल होने से सिमांचल और मुस्लिम-बहुल इलाकों में गठबंधन को फायदा हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे NDA के खिलाफ बड़ा असर हो सकता है।
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लेकिन विरोधी दल इससे भी सतर्क हैं क्योंकि 2020 में AIMIM के तेज प्रदर्शन से राजद को नुकसान झेलना पड़ा था। अब AIMIM से पहचान सुधारे जाने की कोशिश है कि वे BJP की "बी‑टीम" नहीं, बल्कि सेकुलर विपक्ष के हिस्से हैं।