Edited By Radhika,Updated: 26 Dec, 2025 01:06 PM

दिल्ली में वायु प्रदूषण की आपात स्थिति के बीच एयर प्यूरीफायर पर GST की दरों को लेकर कानूनी जंग छिड़ गई है। दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में एयर प्यूरीफायर को 'लक्जरी' के बजाय 'लाइफ सेविंग मेडिकल डिवाइस' घोषित करने और इस पर टैक्स 18% से...
नेशनल डेस्क : दिल्ली में वायु प्रदूषण की आपात स्थिति के बीच एयर प्यूरीफायर पर GST की दरों को लेकर कानूनी जंग छिड़ गई है। दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में एयर प्यूरीफायर को 'लक्जरी' के बजाय 'लाइफ सेविंग मेडिकल डिवाइस' घोषित करने और इस पर टैक्स 18% से घटाकर 5% करने की मांग की गई है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और कोर्ट के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस देखने को मिली।
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केंद्र का विरोध
ASG एन. वेंकटरमन ने केंद्र का पक्ष रखते हुए इस याचिका का विरोध किया। सरकार ने इसे जनहित के बजाय एक विशेष उद्देश्य से प्रेरित याचिका करार दिया। केंद्र का तर्क है कि GST दरों में कोई भी बदलाव एक नीतिगत फैसला है, जो पूरे देश के राज्यों की सहमति (GST काउंसिल) से होता है। सरकार ने स्पष्ट किया कि इसके लिए कोई Urgent बैठक नहीं बुलाई जा सकती क्योंकि इसके लिए फिजिकल मीटिंग और वोटिंग जरुरी है।

कोर्ट ने लगाई फटकार
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने प्रदूषण की स्थिति को 'मेडिकल इमरजेंसी' बताया था। कोर्ट ने कहा, "एक व्यक्ति दिन में करीब 21,000 बार सांस लेता है, सोचिए यह जहरीली हवा फेफड़ों का क्या हाल कर रही होगी।" जब सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, तो याचिकाकर्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि जब लोग मर रहे हैं, तब सरकार कागजी खानापूर्ति में समय लेना चाहती है।
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क्या है मुख्य विवाद?
याचिकाकर्ता का तर्क है कि दिल्ली की हवा अब सांस लेने लायक नहीं बची है, ऐसे में एयर प्यूरीफायर अब अमीरों का शौक नहीं बल्कि जीवित रहने की जरूरत बन गया है। टैक्स कम होने से इसकी कीमतें गिरेंगी और यह आम आदमी की पहुंच में होगा। फिलहाल कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि क्या कम से कम अस्थायी तौर पर इन उपकरणों को टैक्स में राहत दी जा सकती है?