Edited By Anu Malhotra,Updated: 04 Nov, 2025 11:51 AM

तलाक के मामलों में जब एक जीवनसाथी को दूसरे से गुजारा भत्ता (Alimony) मिलता है, तो अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या इस रकम पर टैक्स देना होगा? टैक्स के नियम इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह भुगतान किस रूप में किया गया है। एक टैक्स विशेषज्ञ ने इन नियमों...
नेशनल डेस्क: तलाक के मामलों में जब एक जीवनसाथी को दूसरे से गुजारा भत्ता (Alimony) मिलता है, तो अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या इस रकम पर टैक्स देना होगा? टैक्स के नियम इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह भुगतान किस रूप में किया गया है। एक टैक्स विशेषज्ञ ने इन नियमों को सरल भाषा में समझाया है, जिसका ब्योरा नीचे दिया गया है:
एकमुश्त एलिमनी (Lump Sum Alimony) – टैक्स फ्री
अगर तलाक के दौरान या कोर्ट के आदेश के तहत पत्नी को एक बार में बड़ी रकम दी जाती है, तो इसे आमदनी नहीं माना जाता। इसे कैपिटल रिसीविंग यानी एक बार का सेटलमेंट अमाउंट माना जाता है। इसका मकसद होता है कि पत्नी के भविष्य के भरण-पोषण का अधिकार समाप्त हो जाए।
इस बात की पुष्टि बॉम्बे हाई कोर्ट के Princess Maheshwari Devi of Pratapgarh v. CIT केस में भी हुई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एकमुश्त एलिमनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा। यानी अगर तलाक के समय पूरी राशि एक साथ मिलती है, तो पत्नी को उस पर टैक्स देने की जरूरत नहीं।
मंथली मेंटेनेंस – टैक्सेबल इनकम
अगर पति हर महीने पत्नी को भरण-पोषण के लिए रकम देता है, तो इसे इनकम माना जाएगा। इसे इनकम टैक्स कानून में “Income from Other Sources” के तहत रखा गया है। इसका मतलब यह है कि पत्नी को इस रकम को अपनी टैक्स योग्य आमदनी में शामिल करना होगा और उस पर टैक्स देना होगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के CIT v. Shanti Meattle केस में भी यही स्पष्ट किया गया था कि नियमित मेंटेनेंस इनकम में गिनी जाएगी।
ध्यान दें: बच्चों के पालन-पोषण के लिए दी जाने वाली रकम टैक्स फ्री होती है। यानी बच्चों के नाम पर मिलने वाला पैसा टैक्स से मुक्त है।
पति को टैक्स में कोई फायदा नहीं
कई लोग सोचते हैं कि अगर पति एलिमनी दे रहा है, तो उसे टैक्स में लाभ मिल सकता है। यह गलत है। चाहे एलिमनी एकमुश्त हो या मंथली, पति को इस भुगतान पर कोई टैक्स डिडक्शन नहीं मिलता। इसे अपनी टैक्स योग्य आमदनी से घटाया नहीं जा सकता।
तलाक के बाद संपत्ति और क्लबिंग ऑफ इनकम
तलाक के बाद पति-पत्नी का कानूनी रिश्ता खत्म हो जाता है। इसलिए अगर तलाक के सेटलमेंट के तहत संपत्ति या पैसा पत्नी के नाम ट्रांसफर किया जाता है, तो उस पर क्लबिंग ऑफ इनकम जैसे नियम लागू नहीं होते। यानी पत्नी के नाम पर ट्रांसफर की गई संपत्ति से होने वाली आमदनी पति की इनकम में नहीं जोड़ी जाएगी।
एकमुश्त एलिमनी: टैक्स फ्री
मंथली मेंटेनेंस: टैक्सेबल इनकम
बच्चों के लिए दी गई रकम: टैक्स फ्री
पति को टैक्स डिडक्शन: नहीं
इस तरह, तलाक के बाद एलिमनी और मेंटेनेंस के टैक्स नियम स्पष्ट हैं: एकमुश्त रकम फ्री, मंथली रकम टैक्सेबल और बच्चों की रकम पूरी तरह सुरक्षित।