असम सरकार के ‘खास वर्ग’ को हथियार लाइसेंस देने का फैसला विवादित

Edited By Mansa Devi,Updated: 30 May, 2025 03:45 PM

assam government s decision to give arms

असम सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया है, जिसके तहत राज्य के सीमावर्ती और संवेदनशील इलाकों में रहने वाले मूल निवासियों को हथियारों का लाइसेंस दिया जाएगा। सरकार का दावा है कि यह सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम है, खासकर उन इलाकों के...

नेशनल डेस्क: असम सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लिया है, जिसके तहत राज्य के सीमावर्ती और संवेदनशील इलाकों में रहने वाले मूल निवासियों को हथियारों का लाइसेंस दिया जाएगा। सरकार का दावा है कि यह सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम है, खासकर उन इलाकों के लोगों के लिए जो बाहरी खतरों और हिंसा से प्रभावित हैं। हालांकि, इस फैसले का कांग्रेस के असम प्रदेश अध्यक्ष गौरव गोगोई समेत कई विपक्षी नेताओं ने कड़ा विरोध किया है।

गौरव गोगोई का सरकार के फैसले पर तीखा हमला
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गौरव गोगोई ने इस फैसले की जमकर आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार को हथियार बांटने की बजाय रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस फैसले के पीछे भाजपा-आरएसएस के समर्थकों और स्थानीय आपराधिक तत्वों को हथियार उपलब्ध कराने की मंशा है, जो प्रदेश में कानून व्यवस्था के बिगड़ने का कारण बन सकती है।

असम सरकार की सुरक्षा की तर्कसंगतता
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का कहना है कि यह फैसला स्थानीय निवासियों की सुरक्षा की मांग पर आधारित है। सीमावर्ती जिलों में रहने वाले लोग बाहरी खतरे और पड़ोसी देशों से सुरक्षा की जरूरत महसूस करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यह फैसला पिछले असम आंदोलनों के लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम है, जिसे पहले की सरकारों ने लागू नहीं किया।

सीमावर्ती विवाद और सुरक्षा चुनौतियां
असम में सीमावर्ती जिलों को लेकर मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों के साथ सीमा विवाद लंबे समय से चल रहे हैं। इनमें हाल ही में जुलाई 2021 में असम और मिजोरम की सीमा पर हुई गोलीबारी में भी सात लोगों की मौत हुई थी। ऐसे हालात में असम सरकार का यह कदम स्थानीय सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है।

विपक्ष का आरोप: यह फैसला चुनावी राजनीति का हिस्सा
गौरव गोगोई ने यह भी कहा कि यह फैसला चुनावी दबाव और राजनीति की वजह से लिया गया है, जिससे प्रदेश में कानून व्यवस्था का संतुलन बिगड़ सकता है। उनका मानना है कि इस फैसले से निजी दुश्मनी और गैंगवार की घटनाएं बढ़ेंगी, जो राज्य में सामाजिक और राजनीतिक तनाव को और बढ़ाएगा।


 

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