बिहार में प्रचंड बहुमत के बाद बढ़ा NDA का सिरदर्द, बदलना पड़ सकता है पूरा समीकरण

Edited By Updated: 15 Nov, 2025 02:16 PM

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बिहार में नई सरकार के गठन को लेकर सस्पेंस बरकरार है। एनडीए के पास 202 सीटें हैं और इस बार 6 विधायकों पर 1 मंत्री का फॉर्मूला लागू हो सकता है। पहली बार 5 पार्टियों को कैबिनेट में जगह मिलेगी। जेडीयू को 15, बीजेपी को 16 और लोजपा (आर) को 3 मंत्री पद मिल...

नेशनल डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की प्रचंड जीत (202 सीटें) के बाद अब सबकी नजरें नई सरकार के गठन और कैबिनेट की संरचना पर टिकी हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा और नई कैबिनेट में कितने तथा किन-किन दलों के मंत्री शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, भले ही मुख्यमंत्री एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी जेडीयू की ओर से ही बने, लेकिन इस बार कैबिनेट की तस्वीर पूरी तरह बदलने वाली है। पहली बार पांच दलों — जेडीयू, भाजपा, लोजपा (रा), हम और रालोसपा का प्रतिनिधित्व होगा और भाजपा कोटे के मंत्रियों की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है।

6 विधायकों पर एक मंत्री का नया फॉर्मूला
2020 में NDA के पास 126 सीटें थीं और उस समय लगभग 3.5 विधायकों पर एक मंत्री का अनौपचारिक फॉर्मूला अपनाया गया था। इस बार गठबंधन के पास 202 सीटें हैं। नए फॉर्मूले के तहत करीब 6 विधायकों पर एक मंत्री पद तय किया जा सकता है।
संभावित बंटवारा इस प्रकार हो सकता है:

जेडीयू - 15 मंत्री
भाजपा -16 मंत्री
लोजपा (रामविलास) - 3 मंत्री
हम (जीतन राम मांझी) - 1 मंत्री
रालोसपा (उपेंद्र कुशवाहा) - 1 मंत्री

इस गणित से साफ है कि भाजपा को अपने कोटे में कम से कम 5-6 मंत्रियों की कटौती करनी पड़ेगी, क्योंकि पिछली सरकार में उसके पास 22 मंत्री थे।
महत्वपूर्ण विभागों में भी फेरबदल तय है। पिछली नीतीश कैबिनेट में भाजपा के पास वित्त, पथ निर्माण, स्वास्थ्य, शहरी विकास, उद्योग, कृषि, राजस्व एवं भूमि सुधार जैसे 26 बड़े विभाग थे। इस बार कई प्रमुख विभागों में कटौती तय मानी जा रही है। चर्चा है कि लोजपा (रा) को भाजपा कोटे से ही कोई बड़ा विभाग दिया जा सकता है। जेडीयू कोटे में भी एक-दो बड़े विभागों का अदला-बदली संभव है। पिछली बार गृह, जल संसाधन, ग्रामीण विकास, शिक्षा, भवन निर्माण और मद्यनिषेध जैसे विभाग जेडीयू के पास थे।

मौजूदा मंत्रियों की छुट्टी लगभग तय
दो मौजूदा मंत्री आलोक रंजन झा (सहरसा) और सुमीत कुमार सिंह (चकाई) चुनाव हार चुके हैं, इसलिए वे कैबिनेट में नहीं लौटेंगे।
भाजपा को 16 मंत्रियों तक सीमित करना पड़ेगा, इसलिए 5-6 मौजूदा मंत्रियों को हटाना ही होगा।

जेडीयू में भी नए चेहरों की एंट्री तय है। प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, पूर्व मंत्री श्याम रजक, अश्वमेध देवी, बुलो मंडल और दुलाल चंद्र गोस्वामी समेत कई पुराने नेता मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं।

लोजपा (रा) में चिराग पासवान अंतिम फैसला लेंगे, जबकि हम से संतोष कुमार सुमन और रालोसपा से उपेंद्र कुशवाहा स्वयं या अपने किसी करीबी को मंत्री बनाएंगे।

डिप्टी CM की संख्या पर अभी सस्पेंस
नीतीश कुमार जब अपनी स्थिति मजबूत मानते हैं, तब वे एक ही डिप्टी CM रखते हैं। 2020 में कमजोर स्थिति के कारण भाजपा ने दो डिप्टी CM (तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी) थोप दिए थे। इस बार नीतीश भी मजबूत हैं और भाजपा भी। ऐसे में एक या दो डिप्टी CM होंगे, यह अभी तय नहीं है। सूत्र बता रहे हैं कि 19 सीटें जीतकर आई लोजपा (रामविलास) भी डिप्टी CM पद की दावेदारी कर सकती है, जिससे गठबंधन में नई खींचतान शुरू हो सकती है। कुल मिलाकर, बिहार की नई NDA सरकार की कैबिनेट न सिर्फ संख्या में बड़ी और बहुदलीय होगी, बल्कि विभागीय बंटवारे और चेहरों के लिहाज से भी पिछले सभी कार्यकालों से अलग दिखने वाली है। शपथ ग्रहण से पहले अभी कई दौर की बैठकों और मोलभाव बाकी हैं।

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