Edited By Anu Malhotra,Updated: 26 Jul, 2024 02:04 PM
बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है कि आयकर विभाग मंदिरों को गुप्त दान देने वाले भक्तों की भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकता। यह फैसला शिरडी साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के खिलाफ दायर एक अपील के संदर्भ में आया, जिसमें आयकर विभाग ने इस ट्रस्ट के गुप्त...
नेशनल डेस्क: बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है कि आयकर विभाग मंदिरों को गुप्त दान देने वाले भक्तों की भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकता। यह फैसला शिरडी साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के खिलाफ दायर एक अपील के संदर्भ में आया, जिसमें आयकर विभाग ने इस ट्रस्ट के गुप्त दान पर कर छूट को चुनौती दी थी।
न्यायाधीशों ने कहा कि भक्तों द्वारा किए गए दान, चाहे वे गुप्त हों या नहीं, उनकी आस्था और धार्मिक भावनाओं के कारण होते हैं। इसलिए, आयकर विभाग इन भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकता और गुप्त दान को कर छूट से वंचित नहीं कर सकता।
इससे पहले, इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) ने शिरडी साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट को गुप्त दानों पर कर छूट देने का आदेश दिया था, जिसे आयकर विभाग ने चुनौती दी थी। लेकिन, बॉम्बे हाई कोर्ट ने ITAT के फैसले को सही ठहराया।
आयकर विभाग के वकील ने दलील दी कि सालाना 400 करोड़ रुपए से ज्यादा दान हासिल करने के बावजूद ट्रस्ट ने सिर्फ 2.30 करोड़ रुपए की मामूली राशि धार्मिक उद्देश्यों के लिए खर्च की। ट्रस्ट के वकील ने कहा, हिंदू और मुस्लिम रोजाना शिरडी मंदिर आते हैं। रोजाना पूजा की जाती है। यह कहना गलत है कि ट्रस्ट धार्मिक नहीं है।
दरअसल, आयकर विभाग ने आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (आइटीएटी) के 25 अक्टूबर, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया कि शिरडी का श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट धर्मार्थ भी है और धार्मिक भी। इसलिए यह गुुप्त दान पर आयकर से छूट का पात्र है। विभाग ने अपील में तर्क दिया कि ट्रस्ट सिर्फ धर्मार्थ है, धार्मिक नहीं।