Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Nov, 2025 11:16 AM

ब्राजील के बेलेम में सोमवार से शुरू हुई 30वीं संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP30) में दुनिया की नजरें खासतौर पर ग्लोबल साउथ पर टिकी हैं। इस बार अमेरिका की आधिकारिक भागीदारी नहीं होने के कारण चीन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ज्यादा भूमिका...
नई दिल्ली: ब्राजील के बेलेम में सोमवार से शुरू हुई 30वीं संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP30) में दुनिया की नजरें खासतौर पर ग्लोबल साउथ पर टिकी हैं। इस बार अमेरिका की आधिकारिक भागीदारी नहीं होने के कारण चीन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ज्यादा भूमिका निभाने की संभावना जताई जा रही है।
इस सम्मेलन का मुख्य फोकस उन देशों पर है, जिन्हें जलवायु परिवर्तन से सीधे खतरा है। COP30 में अनुकूलन संकेतक (adaptation indicators) तय करना और जलवायु वित्तीय मदद की डिलीवरी को सुनिश्चित करना मुख्य एजेंडा है। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपने राष्ट्रीय हालात, वित्त, तकनीक और क्षमता के अनुसार इन संकेतकों को अंतिम रूप दे।
ब्राजील ने इस COP में पिछले वादों को पूरा करने पर जोर दिया है, जिसमें जीवाश्म ईंधन का चरणबद्ध निष्कासन शामिल है। COP30 इस लिहाज से भी ऐतिहासिक है कि पहली बार यह माना गया कि 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि को रोकने का लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं हो पाया।
भारत इस सम्मेलन में अपनी नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण की सफलता को साझा करेगा और अनुकूलन संकेतकों को अंतिम रूप देने पर चल रही बहस में भाग लेगा। दो सप्ताह तक चलने वाले इस सम्मेलन में वैश्विक जलवायु नीतियों के भविष्य और वित्तीय मदद के मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय होने की उम्मीद है।