एक्शन में अंतरिम चीफ नागेश्वर राव

Edited By Anil dev,Updated: 26 Oct, 2018 11:19 AM

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सीबीआई के अधिकारियों की जंग के बीच बने अंतरिम चीफ एक्शन में आ गए हैं। वीरवार के दिन उन्होंने आलोक वर्मा की 7 जांचों के अधिकारियों को बदल दिया, और कुछ अधिकारियों के कार्यक्षेत्र बदल दिए। हालांकि इस संबंध में सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिन...

नई दिल्ली(संजीव यादव): सीबीआई के अधिकारियों की जंग के बीच बने अंतरिम चीफ एक्शन में आ गए हैं। वीरवार के दिन उन्होंने आलोक वर्मा की 7 जांचों के अधिकारियों को बदल दिया, और कुछ अधिकारियों के कार्यक्षेत्र बदल दिए। हालांकि इस संबंध में सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिन जांचों के अधिकारी बदले गए हैं उनकी सीधी मॉनिटरिंग खुद चीफ कर रहे थे, लेकिन उनके हटने के बाद इन जांचों पर नए अधिकारी लगाए गए हैं।

ओडिशा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से मांगे गए अधिकारी
सीबीआई के नागेश्वर राव ने डीओपीटी से मांग की है कि उन्हें जल्द ही कुछ अधिकारी चाहिए, क्योंकि मौजूदा जो हालात हैं उसके तहत नए जांच अधिकारियों की जरूरत है। बताया जाता है कि उन्होंने खुद कई आईपीएस के नाम भी सुझाए हैं जो अधिकांश ओडिशा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु कैडर के हैं।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया रिश्वत प्रकरण 
ये मामला गत वर्ष पहले उजागर हुआ था। इस मामले की जांच के दौरान कई हाईप्रोफाइल लोगों के नाम सामने आए थे। मामले में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आईएम कुद्दूसी को गिरफ्तार भी किया गया था। प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला पर आरोप थे और एजेंसी ने इस मामले को अपनी जांच में शामिल किया था। इस मामले में लगभग चार्जशीट तैयार की जा चुकी थी, लेकिन अब इसे दोबारा रिवीजन के लिए कहा गया है। इसके अलावा सांसद सुब्रमन्यम स्वामी ने 2016 में स्कैम के संबंध में वित्त और राजस्व सचिव हसमुख अढिय़ा के खिलाफ एक शिकायत की थी। इसकी जांच के आदेश आलोक वर्मा ने दे दिए थे, लेकिन अब इसे फिलहाल रोक दिया गया है। 

आईएएस अफसर भास्कर कुल्बे से हाल ही में हुई थी पूछताछ
पीएमओ के एक ऑफिसर आईएएस अफसर भास्कर कुल्बे की कोयला खदानों के आवंटन में कथित भूमिका को लेकर सीबीआई जांच कर रही है। हाल में उनसे पूछताछ भी की गई थी। बताया जाता है कि जल्द ही उनका नाम भी शामिल किया जाना था, जिसको लेकर एक सप्ताह पहले आलोक वर्मा ने बैठक की थी, लेकिन इसे भी रोक दिया गया है। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण नितिन संदेसरा और स्टॄलग बायोटेक मामले की जांच थी, जिसे हाल में पूरा कर लिया गया था। कोर्ट को भी बताया गया था कि चार्जशीट तैयार है जल्द दाखिल की जाएगी, लेकिन राव ने इसे फिलहाल रोक दिया है और उसके जांच अधिकारी को भी बदल दिया है।


छलक उठा है आलोक वर्मा का दर्द
आलोक वर्मा ने पूरे मामले को लेकर एक बार फिर सीवीसी और पीएमओ को अपनी बातें कही हैं। आलोक वर्मा ने अपने पत्र के माध्यम से कहा है कि उनकी मंशा सरकार को डैमेज करने की नहीं है। वे बस अपना काम कर रहे थे। 32 साल के इस करियर में उन पर कोई दाग नहीं है, यही नहीं ये बातें बेबुनियाद हैं कि वे डायरेक्टर बनते ही सरकार के खिलाफ काम कर रहे हैं। उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री का जिक्र किया और कहा कि जो हालात पैदा हुए हैं उसके लिए कुछ अधिकारी जिम्मेदार हैं, जिन्होंने केवल एक पक्ष दिखाया। आप खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ है, यहीं काम मैं कर रहा था, जिसके लिए मुझे दोषी बनाया गया। मैं एक ईमानदार व्यक्ति हूं और जब मुझे कटघरे में खड़ा किया गया है तो मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि मैं आपके और देश के सामने वो सच लाऊं जिसे लोग छिपा रहे हैं।

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