Edited By Mahima,Updated: 04 Dec, 2023 08:58 AM
कांग्रेस भले ही विधानसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन की गतिविधियों को आगे बढ़ाकर भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खड़ा कर दे, लेकिन उसके सामने असल चुनौती भाजपा के खिलाफ खुद लड़ने की है। पिछले दो चुनावों के आंकड़ों...
नेशनल डेस्क: कांग्रेस भले ही विधानसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन की गतिविधियों को आगे बढ़ाकर भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खड़ा कर दे, लेकिन उसके सामने असल चुनौती भाजपा के खिलाफ खुद लड़ने की है। पिछले दो चुनावों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो कांग्रेस भाजपा के साथ सीधे मुकाबले वाली सीटों पर चित्त हो रही है। पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के मध्य 186 लोकसभा सीटों पर सीधा मुकाबला था और कांग्रेस इसमें से महज 15 सीटें जीत पाई।
जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले वाली सीटों में से 162 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को महज 24 सीटें हासिल हुई थी। 2014 के बाद 2019 के चुनाव में भाजपा के साथ सीधे मुकाबले वाली सीटों पर कांग्रेस की जीत का प्रतिशत कम हो गया था और उसने अपनी 9 सीटें गंवा दी थीं। कांग्रेस 2023 में हिमाचल और कर्नाटका विधानसभा चुनाव में मिली जीत से काफी उत्साहित है और उसने इन विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन इसके बावजूद असली चुनौती लोकसभा चुनाव की है, जहां उसे पिछले दो लोकसभा चुनावों में हुई अपनी हार का विश्लेषण करते हुए नए तरीके से रणनीति बनानी पड़ेगी।
कांग्रेस भाजपा के साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल, उत्तराखंड के अलावा कर्नाटका व महाराष्ट्र की कुछ सीटों पर सीधे मुकाबले में होगी और पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन सारे राज्यों में कांग्रेस का लगभग सफाया कर दिया था। लिहाजा इन चुनावों में मिली जीत से अति उत्साह में आने की बजाय कांग्रेस को अब बेहतर तालमेल के साथ मैदान में उतरना पड़ेगा। यदि कांग्रेस पिछले दो चुनावों वाली गलती दोहराती है तो उसके सहयोगी भले ही लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर जाएं, लेकिन कांग्रेस यदि अपनी सीटें न बचा पाई तो लोकसभा में उसकी स्थिति पहले वाली ही रह सकती है।