प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजना निरर्थक कवायद, ट्रंप के दावे पर संसद में जवाब दें प्रधानमंत्री: कांग्रेस

Edited By Radhika,Updated: 22 May, 2025 02:39 PM

congress to pm explain trump s claim in parliament foreign visits futile

कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘‘चुप्पी'' साधने के बजाय संसद का विशेष सत्र बुलाकर सदन के पटल पर स्पष्टीकरण देना चाहिए तथा सभी दलों के नेताओं से भी बातचीत करनी...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘‘चुप्पी'' साधने के बजाय संसद का विशेष सत्र बुलाकर सदन के पटल पर स्पष्टीकरण देना चाहिए तथा सभी दलों के नेताओं से भी बातचीत करनी चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों के दौरे पर भेजना ‘दिखावे की निरर्थक कवायद' है और फिलहाल यह जरूरी है कि पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर' को रोके जाने से जुड़े सवालों का सरकार जवाब दे तथा संसद से एक सामूहिक संकल्प दुनिया के सामने रखा जाए।

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने एक फ़िर यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव को व्यापार समझौते के जरिए सुलझाया है। उन्होंने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा से व्हाइट हाउस में मुलाकात के दौरान यह दावा किया। रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री अपने करीबी दोस्त द्वारा बार-बार किए जा रहे इन दावों पर पूरी तरह मौन हैं। विदेश मंत्री जयशंकर भी अपने मित्र, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा दिए गए बयानों पर पूरी तरह खामोश हैं। रुबियो ने तो यहां तक दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तटस्थ स्थान पर बातचीत होगी।''

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उनका कहना था, ‘‘जब हम प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया भर में भेज रहे हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने आठवीं बार इस तरह का दावा किया है...अब तो भारत और पाकिस्तान को बराबरी पर रखा जा रहा है।'' रमेश ने यह दावा भी किया, ‘‘कुछ खबरों में कहा गया है कि पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार ये आतंकवादी कुछ महीने पहले हुए तीन आतंकी हमलों में भी शामिल थे। वे पहलगाम से पहले पुंछ, गांदरबल और गुलमर्ग में आतंकी हमले कर चुके थे।'' उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 18 महीने से इन आतंकवादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

भारतीय सशस्त्र बल और पुलिस उन्हें पकड़ने में सक्षम हैं, लेकिन सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा कि क्या ये आतंकवादी पहले की तीन घटनाओं में शामिल समूह का हिस्सा थे और यदि ऐसा है तो वो खुले क्यों घूम रहे थे?'' रमेश ने यह मांग फिर दोहराई कि 1999 में कारगिल युद्ध के बाद बनी समीक्षा समिति की तर्ज पर पहलगाम आतंकी हमले, उसके बाद के घटनाक्रमों और ‘ऑपरेशन सिंदूर' रोके जाने की पृष्ठभूमि में भी एक समीक्षा समिति का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी को सबसे पहले विपक्षी नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए। इसे सार्वजनिक करने की आवश्यकता नहीं है। वह उनसे व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से बात कर सकते हैं। वह विपक्षी नेताओं से मिलने से क्यों कतरा रहे हैं? उन्हें जल्द से जल्द संसद का सत्र बुलाना चाहिए और 22 फरवरी 1994 के प्रस्ताव को दोहराना चाहिए। चीन पाक जुगलबंदी उस प्रस्ताव के बाद हुई है।

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 ''रमेश ने दावा किया कि दूसरे देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजना दिखावे की निरर्थक कवायद है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान के पास ‘वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन' (जनसंहारक हथियार) हैं। लेकिन मोदी सरकार के पास ‘वेपन ऑफ मास डिस्ट्रैक्शन' (ध्यान भटकाने का हथियार) भी है। प्रतिनिधिमंडलों को भेजना भी ‘वेपन ऑफ मास डिस्ट्रैक्शन' की कवायद है।'' रमेश ने दावा किया, ‘‘भाजपा मुख्यालय से ‘वेपन ऑफ मास डिफेमेशन' (बदनाम करने के हथियार) का उपयोग किया जाता है।'' कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "यह 8वीं बार है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने यह दावा किया है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को रुकवाया है। उनका दावा है कि उन्होंने भारत से ऑपरेशन सिंदूर पर विराम के लिए व्यापार का सहारा लिया। " उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार भी इस दावे को खारिज नहीं किया है। खेड़ा ने सवाल किया कि इस चुप्पी का मतलब क्या है? 

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