भारतीय कंपनी की बनाई कफ सिरप से 18 बच्‍चों की मौत: नोएडा में रोका गया दवा का उत्पादन

Edited By Updated: 30 Dec, 2022 02:35 PM

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उज्बेकिस्तान में खांसी की सिरप से बच्चों की मौत के मामले में नोएडा में दवा का उत्पादन रोक दिया गया। दरअसल इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स से...

नई दिल्ली: उज्बेकिस्तान में खांसी की सिरप से बच्चों की मौत के मामले में नोएडा में दवा का उत्पादन रोक दिया गया। दरअसल इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर 18 बच्चों की मौत से जुड़ी खबरों के मद्देनजर कंपनी की नोएडा इकाई में सभी उत्पादन गतिविधियों को रोक दिया गया है।

‍मांडविया ने ट्वीट कर बताया कि डॉक-1 मैक्स से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर 18 बच्चों की मौत से जुड़े मामले में आगे की जांच जारी है। उन्होंने लिखा, “खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स के विषाक्त होने से संबंधित खबरों के मद्देनजर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई में सभी उत्पादन गतिविधियों को बृहस्पतिवार रात रोक दिया गया। मामले में आगे की जांच जारी है। 

मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि ने भी वीरवार को बताया था कि डॉक-1 मैक्स का उत्पादन ‘फिलहाल’ रोक दिया गया है। मांडविया ने वीरवार को कहा था कि दवा कंपनी के निरीक्षण के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा था कि मैरियन बायोटेक भारत में डॉक-1 मैक्स की बिक्री नहीं करती है और इसका निर्यात सिर्फ उज्बेकिस्तान में किया गया है।

मांडविया ने बताया था कि मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई से खांसी के उक्त सिरप के नमूने लेकर जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (RDTL) भेजे दिए गए हैं। उन्होंने कहा था कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) मामले को लेकर 27 दिसंबर से उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के साथ लगातार संपर्क में था।

वहीं, विदेश मंत्रालय ने बताया था कि भारत सरकार उज्बेक अधिकारियों के नियमित संपर्क में है और इस मामले में उनकी जांच का विवरण मांगा गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि कंपनी से जुड़े कुछ लोगों को राजनयिक सहायता प्रदान की जा रही है, जो उज्बेकिस्तान में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।

बागची ने बताया था कि उज्बेक अधिकारियों ने औपचारिक रूप से नयी दिल्ली के समक्ष यह मामला नहीं उठाया है। उन्होंने कहा था, “बावजूद इसके, हमारे दूतावास ने उज्बेक अधिकारियों से संपर्क किया है और उनकी जांच के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी है। वहीं, नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि हसन हैरिस ने कहा था कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले को देख रही हैं। उन्होंने  कहा था कि हमारी तरफ से कोई गड़बड़ी नहीं है और हमें जांच से भी कोई दिक्कत नहीं है। हम पिछले 10 साल से वहां के दवा बाजार में सक्रिय हैं। सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे। फिलहाल उत्पादन रोक दिया गया है।

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