Pregnancy Kit लेकर नर्सिंग होम गई महिला, फिर डॉक्टर ने कर डाला ऐसा काम कि हमेशा के लिए टूट गया मां बनने का सपना

Edited By Updated: 28 Dec, 2025 11:37 AM

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दिल्ली के दरियागंज इलाके से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहां एक डॉक्टर की लापरवाही ने एक महिला का मां बनने का सपना हमेशा के लिए तोड़ दिया। जिला उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए फैमिली हेल्थ केयर सेंटर को पीड़िता को 20...

नेशनल डेस्क। दिल्ली के दरियागंज इलाके से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहां एक डॉक्टर की लापरवाही ने एक महिला का मां बनने का सपना हमेशा के लिए तोड़ दिया। जिला उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए फैमिली हेल्थ केयर सेंटर को पीड़िता को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने माना कि डॉक्टर ने इलाज के दौरान बुनियादी जांचों को नजरअंदाज किया जिसका खामियाजा एक महिला को जीवनभर के खालीपन के रूप में भुगतना पड़ा।

क्या है पूरा मामला?

घटना जुलाई 2020 की है। 40 वर्षीय समरीन ने घर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जो पॉजिटिव आया। खुशियों के साथ वह दरियागंज स्थित फैमिली हेल्थ केयर सेंटर पहुंचीं। डॉक्टर कुलजीत कौर गिल ने बिना किसी अल्ट्रासाउंड या विस्तृत जांच के सिर्फ यूरिन टेस्ट के आधार पर गर्भ की पुष्टि कर दी। समरीन की पहले भी प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं रही थीं। डॉक्टर को यह पता होने के बावजूद कि यह एक हाई-रिस्क मामला है उन्हें बिना ठोस जांच के दवाएं और इंजेक्शन दिए गए।

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एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और टूटता सपना

इलाज के दौरान समरीन को लगातार पेट में असहनीय दर्द होता रहा। अस्पताल प्रबंधन ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया और सब कुछ नॉर्मल होने का दावा करते रहे। दो महीने बाद जब हालत बिगड़ी तो दूसरे डॉक्टर ने जांच की। तब चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। समरीन को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (गर्भाशय के बाहर भ्रूण विकसित होना) थी। सही समय पर पहचान न होने के कारण गर्भ में ही भ्रूण की मौत हो गई थी। संक्रमण इतना फैल चुका था कि जान बचाने के लिए डॉक्टरों को समरीन की फैलोपियन ट्यूब हटानी पड़ी। इसका मतलब था कि वह अब कभी मां नहीं बन पाएंगी।

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उपभोक्ता आयोग का सख्त फैसला

जिला उपभोक्ता आयोग ने नर्सिंग होम और डॉक्टर को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर समय पर अल्ट्रासाउंड किया गया होता तो इस स्थिति को रोका जा सकता था। "कोई भी रकम उस मां के दर्द और खालीपन की भरपाई नहीं कर सकती जिसने अपनी प्रजनन क्षमता खो दी है लेकिन 20 लाख रुपये का यह मुआवजा डॉक्टर की गंभीर लापरवाही के लिए एक जवाबदेही तय करता है।" यह फैसला चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ा सबक है कि मरीजों के भरोसे के साथ खिलवाड़ करने की कीमत कितनी बड़ी हो सकती है।

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