Edited By Shubham Anand,Updated: 27 Dec, 2025 03:28 PM

छत्तीसगढ़ के भिलाई में आयोजित हनुमान चालीसा कथा के दूसरे दिन बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बड़ा बयान दिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पत्नी कौशल्या साय की उपस्थिति में उन्होंने भारत सरकार से बांग्लादेशी हिंदुओं के संरक्षण की...
नेशनल डेस्क : छत्तीसगढ़ के भिलाई नगर में आयोजित बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हनुमान चालीसा आधारित कथा इन दिनों श्रद्धा और भक्ति का बड़ा केंद्र बनी हुई है। 25 दिसंबर से शुरू हुई यह कथा 29 दिसंबर तक चलेगी, जिसमें प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। पूरे नगर में राम और हनुमान नाम की गूंज के साथ भक्तिमय वातावरण बना हुआ है।
इस धार्मिक आयोजन में आम श्रद्धालुओं के साथ-साथ जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और सामाजिक संगठनों के लोग भी सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं। आयोजन स्थल पर सुरक्षा, व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं।
कथा के दूसरे दिन कौशल्या साय की विशेष उपस्थिति
हनुमान चालीसा कथा के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय विशेष रूप से कथा स्थल पर पहुंचीं। उन्होंने विधिवत रूप से व्यासपीठ के समक्ष बैठकर हनुमान चालीसा की चौपाइयों का श्रद्धापूर्वक श्रवण किया। इस दौरान कथा पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम और जय हनुमान के जयकारों के साथ उनका स्वागत किया। कथा के दौरान कौशल्या साय पूरी तरह भक्ति में लीन नजर आईं। उनकी उपस्थिति को लेकर आयोजन समिति और श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया।
‘मामी’ संबोधन और व्यासपीठ से भावनात्मक संदेश
इसी अवसर पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कौशल्या साय को आत्मीय संबोधन में ‘मामी’ कहकर पुकारा। इसके बाद उन्होंने व्यासपीठ से बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति का उल्लेख करते हुए भावनात्मक अपील की। उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ के बड़े लाडले, चहेते, सरल और सहज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी, उनकी धर्मपत्नी हमारी मामी जी… आप राजपीठ से हैं, मामी और मामा की तो लंबी पहुंच होती है। हम व्यासपीठ से यह कहना चाहते हैं कि भारत सरकार तक यह संदेश पहुंचना चाहिए कि अगर आज हमने बांग्लादेशी हिंदुओं को नहीं बचाया, तो आने वाले समय में बहुत देर हो जाएगी।”
बांग्लादेशी हिंदुओं के संरक्षण की अपील
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आगे कहा कि समस्त हिंदू समाज को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अभी बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं का संरक्षण और संवर्धन नहीं करती है, तो वहां हिंदू समाज का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति का प्रभाव भविष्य में भारत पर भी पड़ सकता है। उनके अनुसार, यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसके दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं।
शरणार्थियों और गृह वापसी पर दिया बयान
बागेश्वर महाराज ने अपने संबोधन में शरणार्थियों के मुद्दे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यदि उनकी राय को महत्व दिया जाए, तो इस विषय पर सरकार को गंभीर निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके मूल देश वापस भेजने की प्रक्रिया पर विचार किया जाना चाहिए और इसके साथ ही बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए भारत के द्वार खोले जाने चाहिए। उनके अनुसार, इससे हिंदू समाज को सुरक्षा मिलेगी और मानवीय दृष्टिकोण से भी यह एक बेहतर कदम हो सकता है।