Edited By Anu Malhotra,Updated: 09 Jul, 2025 09:04 AM

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के धर्मपुर क्षेत्र का सियाठी गांव हाल ही में आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन से पूरी तरह तबाह हो गया है। इस त्रासदी से पहले एक अकल्पनीय चेतावनी ने दर्जनों जानें बचा लीं- और ये चेतावनी किसी इंसान ने नहीं, बल्कि एक कुत्ते ने दी।
नेशनल डेस्क: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के धर्मपुर क्षेत्र का सियाठी गांव हाल ही में आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन से पूरी तरह तबाह हो गया है। इस त्रासदी से पहले एक अकल्पनीय चेतावनी ने दर्जनों जानें बचा लीं- और ये चेतावनी किसी इंसान ने नहीं, बल्कि एक कुत्ते ने दी।
यह घटना 30 जून की रात की है, जब मूसलधार बारिश हो रही थी। उसी रात एक घर की दूसरी मंजिल पर सो रहे कुत्ते ने अचानक जोर-जोर से भौंकना और रोना शुरू कर दिया। परिवार पहले तो घबराया, लेकिन जब उन्होंने देखा कि घर की दीवार में दरार आ गई है और पानी अंदर भर रहा है, तो उन्होंने बिना देर किए कुत्ते को साथ लिया और बाहर भाग निकले। आसपास के लोगों को भी जगाया और सभी को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया।
उसी रात कुछ देर बाद पहाड़ का एक विशाल हिस्सा टूटकर गांव पर आ गिरा। दर्जनों मकान मलबे में दब गए, लेकिन कुत्ते की चेतावनी ने गांव के 67 लोगों की जान बचा ली। आज ये सभी लोग एक मंदिर में शरण लिए हुए हैं।
जानवर क्यों दे पाते हैं प्राकृतिक आपदा की चेतावनी?
यह कोई पहली बार नहीं है कि किसी जानवर ने इंसानों को आपदा से पहले चेतावनी दी हो। वैज्ञानिकों का मानना है कि जानवरों की इंद्रियां इंसानों की तुलना में कहीं ज्यादा संवेदनशील होती हैं।
-कुत्ते, पक्षी, मछलियां और कीड़े-मकोड़े किसी भी असामान्य हलचल को पहले ही भांप लेते हैं।
-सांप और चूहे अक्सर भूकंप आने से पहले बिल छोड़ देते हैं।
-पक्षी घोंसला छोड़कर भागते हैं और कुत्ते असामान्य रूप से भौंकने लगते हैं।
कैसे करते हैं जानवर खतरे को महसूस?
जानवर पृथ्वी की गहराई से आने वाली तरंगों, वायुमंडलीय दबाव, नमी में बदलाव, और सूक्ष्म कंपन जैसी चीजों को आसानी से महसूस कर लेते हैं। यही कारण है कि वे खतरे से पहले ही अलग व्यवहार करने लगते हैं — जो उनके अनुभव पर आधारित होता है।
उदाहरण: जब सुनामी आई, जानवर पहले ही भाग गए थे
2004 में भारत के कुड्डालोर तट पर आई विनाशकारी सुनामी में हजारों लोगों की मौत हुई, लेकिन कई भैंसें, बकरियां और कुत्ते समय से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे।
सबक: जानवरों की चेतावनी को हल्के में न लें
सियाठी गांव की घटना हमें यह सिखाती है कि प्राकृतिक चेतावनियों के संकेत सिर्फ तकनीक से नहीं, प्रकृति से भी मिलते हैं — बस जरूरत है उन्हें समझने और समय रहते कदम उठाने की। अगर उस रात लोग कुत्ते की चेतावनी को नजरअंदाज कर देते, तो शायद आज कहानी कुछ और होती।