Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 Dec, 2025 02:18 PM

सरकारी कर्मचारियों के बीच अक्सर एक गलतफहमी रहती है कि यदि उन्होंने अपनी सेवा के 20 या 30 साल पूरे कर लिए हैं, तो वे कभी भी नौकरी छोड़कर पेंशन का लाभ ले सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। देश की...
नेशनल डेस्क: सरकारी कर्मचारियों के बीच अक्सर एक गलतफहमी रहती है कि यदि उन्होंने अपनी सेवा के 20 या 30 साल पूरे कर लिए हैं, तो वे कभी भी नौकरी छोड़कर पेंशन का लाभ ले सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया है कि 'इस्तीफा' (Resignation) और voluntary retirement (VRS) के बीच एक महीन लेकिन बेहद महत्वपूर्ण कानूनी रेखा है, जिसे न समझना आपके बुढ़ापे की जमा-पूंजी पर भारी पड़ सकता है।
सावधान! सरकारी नौकरी से 'इस्तीफा' पड़ा सकता है भारी, हाथ से जा सकती है पेंशन: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
यह पूरा मामला दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) के एक पूर्व कर्मचारी से जुड़ा है, जिन्होंने 30 साल तक अपनी सेवाएं दीं। वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में जब पेंशन की बात आई, तो विभाग ने हाथ खड़े कर दिए। यह लड़ाई जब सुप्रीम कोर्ट पहुंची, तो अदालत ने कानून की ऐसी व्याख्या की जो हर सरकारी कर्मचारी के लिए 'आई ओपनर' (आंखें खोलने वाली) है।
इस्तीफा बनाम voluntary retirement (Resignation vs VRS)
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 के नियम 26 का हवाला दिया। कोर्ट ने जो कहा, उसका सार यह है:
-
पिछली सेवा का अंत: अगर कोई कर्मचारी तकनीकी रूप से 'इस्तीफा' देता है, तो कानून की नजर में उसकी पिछली पूरी सेवा शून्य (Forfeited) मान ली जाती है। इसका मतलब है कि पेंशन की गणना के लिए आपका पिछला रिकॉर्ड खत्म हो जाता है।
-
3 महीने का नोटिस अनिवार्य: कर्मचारी की दलील थी कि उन्होंने 20 साल से ज्यादा काम किया है, इसलिए इसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) माना जाए। लेकिन कोर्ट ने कहा कि VRS के लिए कर्मचारी को कम से कम 3 महीने पहले लिखित नोटिस देना अनिवार्य है। चूंकि कर्मचारी ने यह प्रक्रिया पूरी नहीं की थी, इसलिए इसे केवल 'इस्तीफा' माना गया, न कि रिटायरमेंट।
क्या मिलेगा और क्या छिद जाएगा?
अदालत के फैसले के बाद वित्तीय लाभों की स्थिति कुछ इस प्रकार स्पष्ट हुई है:
|
लाभ (Benefit)
|
स्थिति (Status)
|
कारण
|
|
पेंशन (Pension)
|
नहीं मिलेगी
|
इस्तीफा देने पर पिछली सेवा समाप्त मान ली जाती है।
|
|
ग्रेच्युटी (Gratuity)
|
मिलेगी
|
'पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट' के तहत 5 साल से अधिक सेवा पर यह हक बनता है।
|
|
प्रोविडेंट फंड (PF)
|
मिलेगी
|
यह कर्मचारी की अपनी जमा पूंजी और योगदान है।
|
|
लीव एनकैशमेंट
|
शर्तों के अधीन
|
इस्तीफे की स्थिति में अक्सर इसका लाभ नहीं मिलता।
|
विशेषज्ञ की सलाह: गलती से कैसे बचें?
गुरुग्राम स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) अमित कुमार के अनुसार, सरकारी सेवा बीच में छोड़ने वाले कर्मचारियों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
-
शब्दों का चयन: कभी भी आवेदन में 'इस्तीफा' (Resignation) शब्द का उपयोग न करें यदि आप पेंशन के पात्र हैं। हमेशा 'स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति' (VRS) के लिए आवेदन करें।
-
प्रक्रिया का पालन: सर्विस रूल्स के अनुसार तय नोटिस पीरियड (जैसे 90 दिन) को जरूर पूरा करें।
-
नियमों का अध्ययन: नौकरी छोड़ने से पहले पेंशन रूल्स को अच्छी तरह समझ लें, क्योंकि आपकी एक गलती दशकों की मेहनत पर पानी फेर सकती है।