EPFO के नए नियम से बढ़ी कर्मचारियों की मुश्किलें, आप पर भी होगा असर?

Edited By Updated: 12 Aug, 2025 01:01 AM

epfo s new rule has increased the problems of employees will it affect you too

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) बनाने की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव कर दिया है। अब 1 अगस्त 2025 से नया UAN केवल फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी (FAT) के जरिए ही जारी होगा — और यह प्रक्रिया सिर्फ UMANG ऐप के माध्यम से ही...

नेशनल डेस्कः  कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) बनाने की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव कर दिया है। अब 1 अगस्त 2025 से नया UAN केवल फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी (FAT) के जरिए ही जारी होगा — और यह प्रक्रिया सिर्फ UMANG ऐप के माध्यम से ही पूरी की जा सकेगी।

EPFO के इस फैसले का सीधा असर उन नए कर्मचारियों पर पड़ेगा जो पहली बार नौकरी जॉइन कर रहे हैं या जिनका अभी तक PF खाता नहीं बना है।

2 दिनों में 1000 से ज्यादा भर्तियां टलीं

इस नई व्यवस्था से कई कंपनियों में ऑनबोर्डिंग और हायरिंग प्रक्रिया में रुकावट आ गई है। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (ISF) के अनुसार, सिर्फ दो दिनों में ही 1,000 से ज्यादा उम्मीदवारों की नियुक्ति अटक गई है। इसका असर सिर्फ नियुक्तियों पर नहीं, बल्कि कंपनियों के पेरोल सिस्टम, पीएफ अंशदान, अनुपालन समयसीमा और कर्मचारी लाभों पर भी पड़ रहा है।

कंपनियों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?

ISF के अनुसार, भारत की स्टाफिंग इंडस्ट्री में बड़ी संख्या में अस्थायी कर्मचारी (Temporary Workforce) होते हैं, जिनका ज्वाइनिंग और एग्जिट रेट तेज होता है। ऐसे में UAN को तेजी से जेनरेट करना जरूरी होता है। लेकिन FAT प्रक्रिया से कई समस्याएँ सामने आ रही हैं:

  • कई कर्मचारियों के पास स्मार्टफोन या स्थिर इंटरनेट कनेक्शन नहीं है।

  • फेस रिकग्निशन फेल हो जाता है या सर्वर डाउन रहता है।

  • कैमरे की गुणवत्ता या नेटवर्क समस्या के कारण फेस ऑथेंटिकेशन सफल नहीं हो पाता।

  • कई मामलों में कर्मचारियों का आधार से मोबाइल नंबर लिंक नहीं है या बायोमेट्रिक डेटा में गड़बड़ी है।

इस कारण UAN बनना रुक जाता है, जिससे कर्मचारी को PF में देरी होती है और कंपनी के अनुपालन दायित्व पर भी असर पड़ता है।

अनुपालन की समयसीमा: 30 जून 2025

EPFO ने पहले ही साफ कर दिया था कि सभी कर्मचारियों की आधार लिंकिंग और FAT वेरीफिकेशन 30 जून 2025 तक पूरा कर लिया जाए। कंपनियों का कहना है कि इतने कम समय में हजारों कर्मचारियों के लिए यह प्रक्रिया पूरी करना बेहद मुश्किल है। अगर समय पर अनुपालन नहीं हो पाया, तो:

  • कंपनियों पर जुर्माना लग सकता है।

  • PF योगदान रोका जा सकता है।

  • कर्मचारी लाभों से वंचित रह सकते हैं।

 ISF ने क्या सुझाव दिए हैं?

EPFO के इस नए फैसले को यथार्थ में लागू करने के लिए ISF ने कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए हैं:

  1. नियोक्ताओं को सीमित अधिकार दें ताकि वे पहले से ही अपनी ओर से UAN जेनरेट कर सकें — खासकर नए कर्मचारियों के लिए।

  2. 6 महीने की FAT छूट दी जाए ताकि कंपनियाँ कर्मचारियों को डिजिटल प्रक्रिया की ट्रेनिंग दे सकें।

  3. बल्क UAN जनरेशन (बिना FAT और आधार लिंकिंग के) की पुरानी सुविधा कुछ समय के लिए फिर से शुरू की जाए।

  4. तकनीकी सहायता टीम तैयार की जाए जो FAT से जुड़ी समस्याओं का समाधान तेजी से दे सके।

  5. MSME और अधिक टर्नओवर वाली इंडस्ट्रीज़ के लिए सरल और लचीली अनुपालन प्रक्रिया लाई जाए।

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