Fake Medicine Racket: एंबुलेंस बनी मौत की डिलीवरी वैन! छह राज्यों में बिकी 13 करोड़ की नकली दवाएं

Edited By Updated: 05 Nov, 2025 08:54 AM

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देशभर में नकली दवाओं के नेटवर्क को लेकर उत्तराखंड STF ने ऐसा पर्दाफाश किया है जिसने फार्मा इंडस्ट्री में खलबली मचा दी है। यह खुलासा सिर्फ फर्जी दवाओं के कारोबार तक सीमित नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये के अवैध लेनदेन, टैक्स चोरी और कई राज्यों में फैले एक...

नेशनल डेस्क: देशभर में नकली दवाओं के नेटवर्क को लेकर उत्तराखंड STF ने ऐसा पर्दाफाश किया है जिसने फार्मा इंडस्ट्री में खलबली मचा दी है। यह खुलासा सिर्फ फर्जी दवाओं के कारोबार तक सीमित नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये के अवैध लेनदेन, टैक्स चोरी और कई राज्यों में फैले एक संगठित गिरोह का चौंकाने वाला चित्र पेश करता है।

13 करोड़ रुपए का फर्जी लेनदेन
STF की जांच में सामने आया है कि हरियाणा के पानीपत की फर्म ‘साईं फार्मा’ के बैंक खाते से 13 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ है - वो भी बिना किसी टैक्स या GST रिटर्न के। यह पैसा नकली दवाओं की सप्लाई के जरिये कमाया गया था, जो उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों तक फैली थी।

कैसे खुली परतें
जांच की शुरुआत जून महीने में हुई थी, जब सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया से STF ने संतोष कुमार नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उसके पास से नामी कंपनियों के फर्जी रैपर, आउटर बॉक्स और क्यूआर कोड बरामद हुए। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह पता चला कि इस नेटवर्क की डोर नवीन बंसल, प्रदीप कुमार और उसकी पत्नी श्रुति डावर (पानीपत निवासी) के हाथों में थी।

पत्नी के नाम पर खड़ी की गई फर्जी कंपनी
प्रदीप कुमार ने अपनी पत्नी श्रुति के नाम पर ‘साईं फार्मा’ नाम की कंपनी बनाई, जो असल में सिर्फ कागजों पर मौजूद थी। जांच टीम जब फर्म के पते पर पहुंची, तो वहां कोई कंपनी नहीं मिली। यही फर्म नकली दवाओं के निर्माण और सप्लाई की आड़ में पूरे गिरोह का केंद्र बिंदु बनी हुई थी।

कैसे तैयार होती थीं नकली दवाएं
नवीन बंसल और प्रदीप कुमार, दोनों ने मिलकर फर्जी पैकेजिंग की व्यवस्था की।
संतोष कुमार (सेलाकुई) के माध्यम से ब्रांडेड दवाओं के रैपर और बॉक्स तैयार कराए गए।
विजय कुमार पांडे (बद्दी, हिमाचल प्रदेश) की एवी फॉयल कंपनी से नामी ब्रांडों के नाम पर एल्युमिनियम फॉयल बनवाए गए।
इन फॉयलों में नकली दवाएं देहरादून और हरिद्वार की कुछ यूनिटों में भरी जाती थीं।
जबकि कुछ दवाएं राजस्थान के भिवाड़ी से मंगवाकर बिल्स्टर मशीन से पैक की जाती थीं।
हर स्तर पर नकली ब्रांडिंग इतनी बारीकी से की गई थी कि असली और नकली की पहचान करना मुश्किल था।

एंबुलेंस बनी तस्करी का जरिया
सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि इन दवाओं को सप्लाई करने के लिए एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जाता था। पंचकूला निवासी पंकज शर्मा की नोबल फार्मेसी की एंबुलेंस को इस अवैध ट्रांसपोर्टेशन के लिए प्रयोग किया गया। इससे पुलिस जांच या नाकों पर शक भी नहीं होता था।

कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है
STF ने अब तक कुल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पांच फैक्ट्री संचालक शामिल हैं। प्रमुख आरोपियों में प्रदीप कुमार, उसकी पत्नी श्रुति डावर, नवीन बंसल, संतोष कुमार और पंकज शर्मा के नाम हैं। सभी पर डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है।

STF का बयान
STF एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि यह नेटवर्क बेहद संगठित था और राज्य की सीमाओं से बाहर काम कर रहा था। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। जांच जारी है और कई और कड़ियां जल्द सामने आ सकती हैं।”
 

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