Farmers Protest: SC की कमेटी 21 जनवरी को किसानों से करेगी मुलाकात, बोले- सभी की सुनी जाएगी बात

Edited By vasudha,Updated: 19 Jan, 2021 03:20 PM

farmers protest committee of supreme court

नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का अंदोलन आज  55वें दिन में प्रवेश कर चुका है। वहीं  इसी बीच उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले को सुलझाने के मकसद से गठित की गई समिति की पहली बैठक आज होने जा रही है। किसानों के विरोध का सामने कर रही इस...

नेशनल डेस्क:  नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का अंदोलन आज 55वें दिन में प्रवेश कर चुका है। वहीं इसी बीच उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले को सुलझाने के मकसद से गठित की गई समिति की पहली बैठक हुई, जिसमें आगे की रणनीति को लेकर चर्चा की गई। कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने बताया कि कमेटी ने यह तय किया है कि किसानों के साथ पहली बैठक 21 जनवरी को सुबह 11 बजे होगी। जो किसान संगठन बैठक में नहीं आ सकते हैं हम उनका मत वीडियो कांफ्रेंसिंग से जानेंगे। उन्होंने बताया कि हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि हमें सभी किसान संगठनों (जो कानूनों का समर्थन कर रहे हैं और जो कानूनों का विरोध कर रहे हैं), हितधारकों को सुनना है और रिपोर्ट तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को भेजनी है। इसके अलावा  सरकार और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 10वें दौर की वार्ता2 0 जनवरी 2021 को दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में होगी।


समिति में  यह सदस्य है शामिल 
कृषि कानूनों पर जारी विवाद को खत्म करने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसमें अनिल घनवट, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि-अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी को सदस्य बनाया गया। बाद में भूपिंदर सिंह मान खुद को इस समिति से अलग कर लिया। यह समिति कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले किसानों का पक्ष सुनकर दो महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। 

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जल्द गतिरोध सुलझाना हैं हम: केंद्र 
दरअसल  केंद्र ने कहा था कि  दोनों पक्ष जल्द से जल्द गतिरोध सुलझाना चाहते हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है। सरकार ने यह दावा किया कि नये कृषि कानून किसानों के हित में हैं और कहा कि जब भी कोई अच्छा कदम उठाया जाता है तो इसमें अड़चनें आती हैं। सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं।  

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किसी भी वार्ता में नहीं निकला कोई नतीजा
अभी तक की वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है क्योंकि आंदोलनकारी किसान संगठन जहां कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार ने इस तरह का कदम उठाने से इंकार कर दिया है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने साेमवार को कहा कि जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं, अड़चनें सामने आती हैं। अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्दी समाधान हो सकता था।'' उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं लेकिन दोनों के अलग-अलग विचार हैं। इसलिए विलंब हो रहा है। कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा।'

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 ट्रैक्टर रैली ना निकालें किसान: नरेंद्र सिंह तोमर 
वहीं इससे पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उम्मीद जताई थी कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन दसवें दौर की वार्ता में नए कृषि कानूनों को वापस लेने के बजाय अन्य विकल्पों पर चर्चा करेंगे और उनसे अपील की कि दिल्ली में गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टर रैली नहीं निकालें। तोमर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगली बैठक में किसान संगठन विकल्पों (कानूनों को वापस लेने के अलावा) पर चर्चा करेंगे ताकि किसी समाधान तक पहुंचा जा सके।  गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले कई हफ्ते से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। 
 

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