यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी हुए पूर्व CJI रंजन गोगोई, सुप्रीम कोर्ट ने बंद किया मामला

Edited By vasudha,Updated: 18 Feb, 2021 12:39 PM

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उच्चतम न्यायालय ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को कथित यौन उत्पीड़न मामले में फंसाने के षड्यंत्र की जांच के लिए स्वत: संज्ञान के आधार पर शुरू की गई जांच प्रक्रिया बंद की है। न्यायालय ने कहा कि दो साल गुजर चुके हैं और गोगोई को फंसाने के...

नेशनल डेस्क:  उच्चतम न्यायालय ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को कथित यौन उत्पीड़न मामले में फंसाने के षड्यंत्र की जांच के लिए स्वत: संज्ञान के आधार पर शुरू की गई जांच प्रक्रिया बंद की है। न्यायालय ने कहा कि दो साल गुजर चुके हैं और गोगोई को फंसाने के षड्यंत्र की जांच में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत ही कम रह गयी है ।

 

रिपोर्ट के आधार पर मामले का निपटारा 
जस्टिस एके पटनायक समिति की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले का निपटारा किया है।  न्यायालय ने कहा कि ए. के. पटनायक पैनल, भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई को फंसाने की साजिश की जांच करने के लिए व्हाट्सऐप मैसेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल नहीं कर सका। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने‌ कहा‌ कि रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह स्पष्ट है कि इस मामले को जारी रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

 

अप्रैल 2019 में  गोगोई पर लगे थे आरोप 
बता दें कि वकील उत्सव बैंस ने आरोप लगाया था कि सीजेआई जस्टिस गोगोई को फंसाने की साजिश रची गई थी और ये सब कुछ कॉरपोरेट ने किया था।  इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस एके पटनायक समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2019 में पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने कि साजिश की गई, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। 

 

साजिश से इनकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट 
सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसमें एनआरसी, असम जैसे कड़े फैसले भी साजिश के कारण हो सकते है, जिसके चलते सीजेआई को बदनाम करने कि साजिश रची गई। ऐसे में अदालत इस मामले पर लिए गए स्वत: संज्ञान को बंद करती है। याद हो कि सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह महिला 2018 में जस्टिस गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट पदस्थ थी। महिला का दावा था कि बाद में उसे नौकरी से हटा दिया गया था।
 

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