फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़: 2500 रुपए में खरीदा फोन डेटा और करोड़ों की ठगी में किया इस्तेमाल, 11 लोग गिरफ्तार

Edited By Updated: 07 Jul, 2024 05:59 PM

fraud in the name of getting loan 11 people arrested

पुलिस ने बताया कि दो पूर्व जीवन बीमा पॉलिसी एजेंटों द्वारा संचालित यह कॉल सेंटर एक साल से अधिक समय से नोएडा के सेक्टर 51 मार्केट की एक इमारत की चौथी मंजिल से संचालित हो रहा था। पुलिस ने कहा कि गिरोह दिल्ली-एनसीआर के बाहर के लोगों को लोन और बीमा...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के नोएडा जिले में मात्र 2,500 रुपए में खरीदे गए फोन डेटा का इस्तेमाल कर सैकड़ों लोगों से ठगी करने का मामला सामने आया है। यह धोखाधड़ी एक फर्जी कॉल सेंटर से की जा रही थी। पुलिस ने फर्जी बीमा पॉलिसियां और लोन बेचने के आरोप में 9 महिलाओं समेत 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। घोटाले के पीड़ितों से पैसा पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में प्राप्त हुआ था, जिसे कर्नाटक के अरविंद नामक एक व्यक्ति से 10,00 रुपए प्रति माह किराए पर लिया गया था।

फर्जी आधार कार्ड के जरिए गिरोह ने खरीदे थे सिम कार्ड
पुलिस ने बताया कि दो पूर्व जीवन बीमा पॉलिसी एजेंटों द्वारा संचालित यह कॉल सेंटर एक साल से अधिक समय से नोएडा के सेक्टर 51 मार्केट की एक इमारत की चौथी मंजिल से संचालित हो रहा था। पुलिस ने कहा कि गिरोह दिल्ली-एनसीआर के बाहर के लोगों को लोन और बीमा पॉलिसियों पर उच्च रिटर्न का वादा करके लुभाता था। घोटाले के मास्टरमाइंड आशीष और जितेंद्र ने नौ महिलाओं को कॉल सेंटर एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करने के लिए रखा था, जो लोगों को कॉल करती थीं और उन्हें ये पॉलिसियां ​​बेचती थीं। गिरोह ने अवैध रूप से खरीदे गए फर्जी आधार कार्ड के जरिए सिम कार्ड खरीदे। इन सिम कार्ड का इस्तेमाल अपनी पहचान छिपाने के लिए किया जाता था, जबकि ये लोग अनजान लोगों को निशाना बनाते थे। यह संगठन कमीशन के आधार पर काम करता था - जितने ज़्यादा लोगों को आप लुभाते हैं, उतना ज़्यादा पैसा आपको मिलता है।

इस घोटाले के पीड़ितों से पैसे पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में आते थे, जिसे कर्नाटक के अरविंद नाम के एक व्यक्ति ने ₹10,00 महीने के किराए पर लिया था। आशीष और जितेंद्र दोनों ही नोएडा में पैसे निकालने के लिए डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते थे। पुलिस की छापेमारी के बाद आशीष द्वारा इस्तेमाल की गई एक काली डायरी मिली। डायरी में साल भर चले इस घोटाले में हर वित्तीय लेन-देन का ब्यौरा था, जिससे करोड़ों रुपए कमाए गए।

क्या कहती है पुलिस?
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि शुक्रवार को क्राइम रिस्पांस टीम (सीआरटी) और स्थानीय सेक्टर 49 पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के संयुक्त अभियान में इस गिरोह का भंडाफोड़ हुआ। उन्होंने बताया कि रांची में भी इसी तरह के घोटाले का मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा, "आशीष और जितेंद्र ने 2019 में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के लिए काम करने के बाद यह धोखाधड़ी की गतिविधि शुरू की। उन्होंने इंडिया मार्ट से लगभग 10,000 लोगों का डेटा 2,500 रुपये में खरीदा और पूरे भारत में लोगों को कॉल करना शुरू कर दिया, उन्हें ऋण और बीमा देने के बहाने धोखा दिया।"

पुलिस ने गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान मुख्य आरोपी आशीष कुमार उर्फ ​​अमित और जितेंद्र वर्मा उर्फ ​​अभिषेक के रूप में की है। गिरफ्तार की गई नौ महिलाओं में निशा उर्फ ​​स्नेहा, रेजू उर्फ ​​दिव्या, लवली यादव उर्फ ​​स्वेता, पूनम उर्फ ​​पूजा, आरती कुमारी उर्फ ​​अनन्या, काजल कुमारी उर्फ ​​सुरती, सरिता उर्फ ​​सुमन, बबीता पटेल उर्फ ​​माही और गरिमा चौहान उर्फ ​​सोनिया शामिल हैं। मामले में नव-अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई है और सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

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