No Sound Mystery: यहां चाहे जितना भी चिल्लाओ, कोई नहीं सुनेगा तुम्हारी आवाज़ - जानिए इसके पीछे की अद्भुत वैज्ञानिक वजह!

Edited By Updated: 06 Nov, 2025 04:00 PM

gk no sound in space scientific reason space radio

अंतरिक्ष जितना खूबसूरत है, उतना ही रहस्यमय भी। आपने फिल्मों में देखा होगा — कोई स्पेससूट पहने इंसान अंतरिक्ष में तैरता है, और अगर वो ज़ोर से चिल्लाता है तो भी किसी को सुनाई नहीं देता। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? और अगर हाँ, तो आखिर क्यों? आइए...

नेशनल डेस्क: अंतरिक्ष जितना खूबसूरत है, उतना ही रहस्यमय भी। आपने फिल्मों में देखा होगा — कोई स्पेससूट पहने इंसान अंतरिक्ष में तैरता है, और अगर वो ज़ोर से चिल्लाता है तो भी किसी को सुनाई नहीं देता। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? और अगर हाँ, तो आखिर क्यों? आइए जानते हैं इस अनसुनी सच्चाई के पीछे की वैज्ञानिक कहानी।

अंतरिक्ष में “सन्नाटा” क्यों है?
धरती पर जब हम बोलते हैं, तो हमारी आवाज़ हवा के कणों के जरिए आगे बढ़ती है। ये कंपन (vibrations) हवा के अणुओं को धकेलते हैं, और इसी से ध्वनि दूसरे व्यक्ति के कान तक पहुँचती है। लेकिन अंतरिक्ष में तो हवा ही नहीं होती — न ऑक्सीजन, न नाइट्रोजन, कुछ भी नहीं। वहां मौजूद है सिर्फ “वैक्यूम”, यानी एक लगभग खाली जगह, जहाँ कण इतने कम हैं कि आवाज़ की तरंगें आगे बढ़ ही नहीं सकतीं। इसलिए अगर आप अंतरिक्ष में बिना किसी रेडियो सिस्टम के चिल्लाएंगे, तो कोई भी आपको सुन नहीं पाएगा — यहां तक कि आपके बगल में खड़ा व्यक्ति भी नहीं।

सुनाई क्यों नहीं देती आवाज़?
अंतरिक्ष में न तो वायु है और न ही दबाव। और बिना दबाव के ध्वनि ऊर्जा को आगे ले जाने के लिए कोई माध्यम ही नहीं होता। पृथ्वी पर हमारे गले के कंपन से निकलने वाली तरंगें अरबों सूक्ष्म वायु कणों को धकेलती हैं, जो “sound wave” के रूप में यात्रा करती हैं। लेकिन अंतरिक्ष में जब ये कण ही नहीं हैं, तो तरंगों का अस्तित्व ही नहीं रह जाता।

 खुद की आवाज़ आप कैसे सुन पाते हैं?
दिलचस्प बात यह है कि अगर आप अंतरिक्ष में हैं, तो आप खुद को बोलते हुए महसूस करेंगे। इसका कारण है कि हमारे शरीर के अंदर हड्डियाँ और टिश्यूज़ ध्वनि को ट्रांसमिट करते हैं। यानी भले ही बाहर कोई आपकी आवाज़ न सुन सके, लेकिन आप खुद अपने सिर के अंदर “गूंज” महसूस करेंगे — बिल्कुल वैसे जैसे कान बंद करके गुनगुनाने पर होता है।

 स्पेस में Astronauts कैसे करते हैं बात?
स्पेस में खामोशी इतनी गहरी होती है कि अगर दो अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे के सामने हों और अपने रेडियो बंद कर दें, तो वे कुछ नहीं सुन पाएंगे।
असल में, वे एक-दूसरे से बात करने के लिए रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। यह सिस्टम उनकी आवाज़ को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में बदलकर भेजता है, जिसे वायु की नहीं बल्कि तरंगों (radio waves) की मदद से ट्रांसमिट किया जाता है।

अंतरिक्ष में “साइलेंस” सिर्फ एक एहसास नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक सच्चाई है। वहां कोई हवा नहीं, कोई माध्यम नहीं — सिर्फ अंतहीन शून्य। इसलिए अगर कोई स्पेस फिल्म में किसी को अंतरिक्ष में चिल्लाते हुए दिखाए, तो याद रखिए — असल में वहां सिर्फ “सन्नाटा” होगा, इतना गहरा कि आवाज़ की गूंज तक खो जाए।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!