केवल Aadhar, PAN card या Voter ID होना ही भारतीय होने की पहचान नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Edited By Updated: 12 Aug, 2025 04:44 PM

having only aadhar pan card is not proof of being an indian bombay hc

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सिर्फ आधार, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज रखने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता।

नेशनल डेस्क: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सिर्फ आधार, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज रखने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता। यह टिप्पणी कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए दी, जिस पर बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसने और जाली दस्तावेज बनाने का आरोप है।

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क्या है पूरा मामला?

बाबू अब्दुल रूफ सरदार नाम के एक शख्स को अवैध रूप से भारत में रहने और जाली भारतीय दस्तावेज़, जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड और भारतीय पासपोर्ट, बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह एक दशक से भी ज़्यादा समय से भारत में रह रहा था। जब उसने जमानत याचिका दायर करते हुए दावा किया कि वह एक भारतीय नागरिक है और उसके पास इसके पुख्ता सबूत भी हैं।

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कोर्ट ने क्यों ठुकराई जमानत याचिका?

न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने बाबू अब्दुल रूफ सरदार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि नागरिकता सिर्फ इन पहचान पत्रों से तय नहीं होती। इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों का पालन करना ज़रूरी है। यह कानून ही तय करता है कि कौन भारत का नागरिक है, नागरिकता कैसे मिलती है और किन परिस्थितियों में इसे खोया जा सकता है।

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न्यायाधीश ने यह भी कहा कि आधार और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज़ सिर्फ पहचान या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए होते हैं। ये दस्तावेज़ नागरिकता अधिनियम के तहत तय की गई कानूनी ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी पर लगे आरोप गंभीर हैं और अगर उसे जमानत मिलती है, तो उसके फरार होने का खतरा है।

'यह केवल तकनीकी उल्लंघन नहीं'

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि यह मामला सिर्फ अवैध रूप से देश में रहने का नहीं है, बल्कि जानबूझकर भारतीय नागरिक होने का दिखावा करने और जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करने का है। पुलिस को शक है कि इस तरह के अवैध आव्रजन और धोखाधड़ी के पीछे कोई बड़ा संगठित नेटवर्क हो सकता है, जिसकी जांच अभी चल रही है।

यह फैसला वैध नागरिकों और अवैध प्रवासियों के बीच एक साफ रेखा खींचता है और यह बताता है कि भारत में नागरिकता के लिए सिर्फ पहचान पत्र ही काफी नहीं हैं, बल्कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।

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