आइकोनिक एग्रीकल्चर साइंटिस्ट M S स्वामीनाथन का बीमारी के चलते निधन

Edited By Updated: 28 Sep, 2023 02:19 PM

iconic agricultural scientist m s swaminathan dies following illness

प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन और देश की 'हरित क्रांति' के पीछे प्रेरक शक्ति का गुरुवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे और उनकी तीन बेटियां हैं।

नेशनल डेस्क: प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन और देश की 'हरित क्रांति' के पीछे प्रेरक शक्ति का गुरुवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे और उनकी तीन बेटियां हैं। एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि मशहूर कृषि आइकन का काफी समय से उम्र संबंधी बीमारी का इलाज किया जा रहा था।

स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को  तमिलनाडु के कुम्भकोणम में जन्मे एम. एस. स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक थे।  उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए थे।  

वहीं, ग्रेट साइंटिस्ट स्वामीनाथन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीरवार को प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और साथ ही कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। प्रधानमंत्री ने स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था तथा उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। देश की ‘हरित क्रांति' में अहम योगदान देने वाले स्वामीनाथन का बृहस्पतिवार को चेन्नई में निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे।

मोदी ने ‘एक्स' पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक अवधि में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान से इतर, स्वामीनाथन नवाचार के ‘पावरहाउस' और कई लोगों के लिए वह एक कुशल संरक्षक भी थे। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और लोगों के लिए प्रतिपालक की अपनी भूमिका को लेकर उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और अन्वेषकों पर एक अमिट छाप छोड़ी । उन्होंने कहा, ‘‘मैं डॉ स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा संजोकर रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।''

 

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