आखिर 15 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस

Edited By Updated: 15 Aug, 2020 12:30 PM

independence day celebrate lord louis mountbatten

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच ऐतिहासिक लाल किला पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। कोरोना महामारी की वजह से इस बार समारोह स्थल पर सामाजिक दूरी का पूरा ख्याल रखा गया था

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच ऐतिहासिक लाल किला पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। कोरोना महामारी की वजह से इस बार समारोह स्थल पर सामाजिक दूरी का पूरा ख्याल रखा गया था। सुरक्षाकर्मियों समेत अन्य गणमान्य लोग भी चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। बतांदें कि 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत को आजादी मिली थी, जिसके बाद से ही भारत को एक स्वतंत्र देश घोषित किया गया था लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस मनाने की तारीख को क्यों चुना गया और ऐसा करने के पीछे क्या खास वजह थी। 

ये बात है उस दौर की जब भारत में था क्रूर अंग्रेजों का तानाशाही शासन था। उस समय भारत के तत्कालीन वायसराय थे लॉर्ड लुईस माउंटबैटन (Lord Louis Mountbatten), जिन्हें ब्रिटिश की संसद ने भारत में सत्ता-हस्तांतरण करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इन बातों को भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी  के शब्दों में कहें तो- "अगर माउंटबेटन ने 30 जून का इंतजार किया होता तो उनके पास हस्तांतरित करने के लिए कोई सत्ता बचती ही नहीं। यही कारण था, जिसके चलते माउंटबैटन ने अगस्त 1947 में ही ये दायित्व पूरा कर दिया। आखिर ऐसा क्यों कहा राजगोपालाचारी ने, क्या थी इसके पीछे की खास वजह आइए जानते हैं...
 

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ब्रिटिश सरकार का भारत की आजादी को लेकर पूरा प्लान तैयार था। योजना के अनरूप भारत को आजाद़ी देने का समय निर्धरित हुआ जून, 1948। नए-नए बने भारत के वाइसराय लार्ड माउंटबैटन ने भारतीय नेताओं से मिलकर बात करना शुरू कर दिया था। पेंच तब फंसा जब जिन्ना ने अपने अलग देश बनाने की मांग करना शुरू कर दी, जिसे लेकर दोनों नेताओं  नेहरू और जिन्ना  के बीच रस्साकशी शुरू हो गई। दोनों के बीच मतभेद बढ़ने लगे। जिसका असर देश के आम जनमानस पर काफी गहरा पड़ा। इतना ही नहीं, देश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक झगड़े बहुत हद तक बड़ने लगे। देश की स्थिति बिगड़ते देख आजादी 1948 की जगह 1947 को ही निर्धारित करने की बात तय हो गयी।

 

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अब बात करते हैं 1947 में 15 अगस्त को ही क्यों चुना गया...?

लार्ड माउंटबैटन की जिंदगी में 15 अगस्त का दिन बहुत खास था। खास होने की वजह थी 15 अगस्त, 1945 के दिन द्वितीय विश्र्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश के सामने जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उस समय ब्रिटिश की सेना में लार्ड माउंटबैटन अलाइड फोर्सेज़ में कमांडर थे।  जिसका पूरा श्रेय माउंटबैटन को दिया गया था। बस यही कारण था जिसके चलते उन्होंने 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मान लिया और भारत की आजादी को इसी दिन में बदल कर इस दिन को और यादगार बना दिया।

 

 

 

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