Edited By Rohini Oberoi,Updated: 09 Oct, 2025 08:49 AM

करवा चौथ का त्योहार हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यह व्रत न केवल पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है बल्कि इसमें धार्मिक मान्यताओं और कठोर नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है। इस शुभ अवसर पर कई लोगों के मन में यह सवाल...
नेशनल डेस्क। करवा चौथ का त्योहार हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यह व्रत न केवल पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है बल्कि इसमें धार्मिक मान्यताओं और कठोर नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है। इस शुभ अवसर पर कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या इस दिन शारीरिक संबंध (Physical Relation) बनाना उचित है या नहीं।
करवा चौथ पर शारीरिक संबंधों से क्यों बनाएं दूरी?
धार्मिक जानकारों और मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन पति-पत्नी को शारीरिक संबंधों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
-
पवित्रता: यह व्रत निर्जला रखा जाता है जिसमें शरीर और मन दोनों की पवित्रता बनाए रखना आवश्यक माना गया है। शारीरिक संबंध बनाने से व्रत की पवित्रता भंग होती है और व्रत का अपेक्षित फल नहीं मिलता है।
-
धार्मिक दृष्टिकोण: धार्मिक रूप से ऐसे शुभ पर्वों पर उपवास की स्थिति में शारीरिक संबंध बनाने को वर्जित माना गया है। जानकारों के अनुसार इस दिन केवल शारीरिक संबंध से ही नहीं बल्कि इससे जुड़े विचारों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
-
वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Medical Perspective): हालांकि मेडिकल साइंस के नज़रिए से इस दिन शारीरिक संबंध बनाने में कोई शारीरिक दिक्कत नहीं होती है लेकिन भारत में लोग धार्मिक पर्वों पर ज्यादातर उन रीति-रिवाजों का पालन करते हैं जो सदियों से धार्मिक ग्रंथों में वर्णित हैं।
करवा चौथ के दिन क्या करें और क्या न करें?
व्रत को सफल और फलदायी बनाने के लिए कुछ अन्य नियमों का पालन करना भी जरूरी है:
क्या न करें (वर्जित काम)
पति-पत्नी का आपस में झगड़ा: इस दिन ऐसा करने से व्रत का फल नहीं मिलता है। प्रेम और शांति बनाए रखना आवश्यक है।
चुगली या किसी की बुराई: यह व्रत के नियमों के विपरीत माना जाता है जिससे नकारात्मकता बढ़ती है।
काले रंग के कपड़े पहनना: पूजा-पाठ और शुभ अवसरों पर काले रंग को अशुभ माना जाता है इसलिए इससे बचना चाहिए।
यदि आप करवा चौथ के पर्व को पूरी श्रद्धा और सफलता से मनाना चाहती हैं तो उपवास की पवित्रता बनाए रखते हुए इन सभी धार्मिक नियमों का पालन करना श्रेयस्कर माना जाता है।