लॉकडाउनः गर्भवती पत्नी और बेटी को हाथ गाड़ी पर बिठा 17 दिन में 800 KM का सफर तय कर गांव पहुंचा पति

Edited By Anil dev,Updated: 15 May, 2020 05:37 PM

lockdown corona virus pregnant wife village

लॉकडाउन लागू होने के बाद अपने घरों के लिए मीलों मील पैदल चल रहे लोगों के रोज नए मार्मिक मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में 32 वर्षीय एक मजदूर ने हैदराबाद से मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में लांजी तक अपने गांव तक की 800 किलोमीटर की दूरी 17 दिन...

बालाघाटः लॉकडाउन लागू होने के बाद अपने घरों के लिए मीलों मील पैदल चल रहे लोगों के रोज नए मार्मिक मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में 32 वर्षीय एक मजदूर ने हैदराबाद से मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में लांजी तक अपने गांव तक की 800 किलोमीटर की दूरी 17 दिन में पूरी की ।
 

इस सफर में वह अकेला नहीं था। साथ में थी गर्भवती पत्नी और दो साल की बेटी । उसने अपने हाथों से लकड़ी की गाड़ी बनायी और पत्नी तथा बच्ची को उसमें बिठाकर खुद ही गाड़ी को खींचते हुए सफर पूरा किया। रामू घोरमोरे (32) और उसकी पत्नी धनवंतरी बाई ने पीटीआई भाषा को शुक्रवार को बताया, ‘‘हम हैदराबाद में एक ठेकेदार के साथ मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे। लॉकडाउन के बाद साइट पर काम बंद हो गया। हमें दिन में दो वक्त खाने की भी दिक्कत हो गयी। इसके बाद हमने लोगों से अपने घर जाने के लिए मदद मांगी लेकिन कुछ नहीं हो सका।’’ 
 

उन्होंने कहा कि जब कोई मदद नहीं मिली तो मैंने अपनी पत्नी और बेटी अनुरागिनी को अपनी गोद में लेकर अपने गांव लांजी (बालाघाट) की ओर चलना शुरु कर दिया। कुछ दूरी के बाद मेरी पत्नी और आगे नहीं चल पा रही थी। तब मैंने बांस और लोकल सामग्री व पहियों की मदद से एक हाथ गाड़ी बनाई तथा एक ट्यूब इसे खींचने के लिए बांधा। पत्नी और बेटी को इस हाथ से बनी गाड़ी पर बिठाकर लांजी की ओर चल पड़ा।हैदराबाद से लगभग 800 किलोमीटर की दूरी 17 दिन में पूरी करने के बाद तीनों जब बालाघाट जिले के लांजी उपमंडल के तहत राजेगांव की सीमा पर पहुंच गए तब तक रामू के पैरों में फफोले पड़ चुके थे। जब इस स्थिति में देखकर स्थानीय अधिकारियों ने उनके ठिकाने के बारे में पूछा तो उनकी दिल दहला देने वाली इस कहानी का खुलासा हुआ।

पुलिस के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओपी) लांजी, नितेश भार्गव ने उन्हें देखा तो उन्होंने एक निजी वाहन में व्यवस्था कर सीमा से लगभग 18 किलोमीटर दूर जिले के कुडे गांव में उनके घर भेजने की व्यवस्था की। भार्गव ने श्रमिक परिवार को जूते और कुछ खाने का सामान भी दिया। रामू के परिवार के अलावा आध्र प्रदेश से 400 से अधिक श्रमिक पैदल ही राजेगांव सीमा पर पहुंचे हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन श्रमिकों को भोजन, पानी देने के साथ उनकी चिकित्सा जांच की गई और पैरों को राहत देने के लिए दर्द निवारक दवाएं भी दी गयी। इसके बाद इन लोगों को इनके गंतव्य की ओर भेजा गया है।

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