महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है! शिंदे को CM बनाकर भाजपा ने साधे ये 5 निशाने

Edited By Anil dev,Updated: 01 Jul, 2022 12:49 PM

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महाराष्ट्र में पिछले दस दिनों से चल रही राजनीतिक उठा पटक गुरुवार शाम को शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद तथा देवेन्द्र फडनवीस के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ खत्म हो गई।

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र में पिछले दस दिनों से चल रही राजनीतिक उठा पटक गुरुवार शाम को शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद तथा देवेन्द्र फडनवीस के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ खत्म हो गई। उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने के चौबीस घंटे के भीतर शिंदे और फडणवीस ने यहां राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित एक सादे समारोह में शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिंदे और फडणवीस को मराठी में शपथ दिलाई। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने कैसे एक तीर से पांच निशाने साधे हैं, आइए जानते हैं कैसे। 

एकनाथ शिंदे के जरिए उद्धव की शिवसेना को खत्म करना
महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना, दोनों ही हिंदूवादी राजनीति के कॉम्पिटिटर हैं। दोनों ही जानते हैं कि किसी एक के बढऩे का मतलब दूसरे का कम होना है। चूंकि शिवसेना को खत्म किए बिना भाजपा आगे नहीं बढ़ सकती लेकिन शिवसेना खत्म हो जाए और उसका ब्लेम बी.जे.पी. के सिर पर न आए, इसलिए शिंदे को सी.एम. बनाया गया। इसके अलावा शिंदे को सी.एम. बनाकर भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि उन्हीं का खेमा असली शिवसेना है।

पूरे सियासी ड्रामे में शिंदे को आगे कर खुद का बचाव
भाजपा ठाकरे की विरासत वाली शिवसेना को समेटना तो चाहती है लेकिन वह यह भी नहीं चाहती थी कि महाराष्ट्र की जनता के सामने यह ठीकरा उसके सिर फूटे। यही वजह है कि इस बगावत में सबसे अहम किरदार निभाने के बावजूद  भाजपा खुद सामने नहीं आई। इसके साथ ही शिंदे को सी.एम. बनाने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि बी.जे.पी. अभी टैस्ट एंड ट्रायल करना चाहती है। वह परखना चाहती है कि बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे की कुर्सी और पार्टी छीनने पर महाराष्ट्र की जनता कैसे रिएक्ट करती है।

शिवसेना तो रहेगी, लेकिन ठाकरे की विरासत सिमट जाएगी
महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे की विरासत भाजपा की राह का बड़ा रोड़ा थी जिसकी झंडा बरदारी फिलहाल उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। शिंदे को सुप्रीम पावर देने से शिवसेना के संगठन में टूट पडऩे के आसार हैं। संगठन के लोग मुख्यमंत्री के खेमे में जाना चाहेंगे। इस तरह उद्धव ठाकरे की ताकत और कमजोर पड़ जाएगी।

37 सालों से शिवसेना की ताकत का सोर्स बी.एम.सी. छीनना
भाजपा के एकनाथ शिंदे को सी.एम. बनाने के दाव की एक और वजह एशिया के सबसे अमीर नगर निगम बृहन्मुंबई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन यानी बी.एम.सी. पर कब्जे की लड़ाई है। भाजपा का प्रमुख एजैंडा शिवसेना से बी.एम.सी. को छीनना है। इस साल सितम्बर में बी.एम.सी. के चुनाव होने हैं और इनमें भाजपा की नजरें शिवसेना के वोट बैंक को कमजोर करने पर हैं।

मराठाओं में भाजपा का दखल बढ़ेगा
सभी जानते हैं कि बाल ठाकरे ने अपनी राजनीति की शुरूआत मराठी मानुष से की थी। इधर, भाजपा राष्ट्रीय पार्टी होने की वजह से मराठी अस्मिता की राजनीति नहीं कर सकती है। इससे बाकी हिंदी भाषी बैल्ट में उस पर बुरा असर पड़ेगा। भाजपा को ऐसे में हिंदुत्व के अलावा एक और फैक्टर की जरूरत थी। उसकी भरपाई के लिए भाजपा ने शिंदे पर दाव खेला है। शिंदे मराठा हैं और इसका फायदा भाजपा को जरूर मिलेगा।

 

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