मोबाइल नंबर वैलिडेशन पर नया नियम! 121 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं को झटका: नंबर हो सकता है बंद?

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 08:30 AM

new rule on mobile number validation telecom cybersecurity rules 2024

सरकार देश के मोबाइल यूजर्स और डिजिटल सेवाओं को साइबर ठगी से बचाने के लिए एक नया सिस्टम लागू करने की तैयारी में है, लेकिन इसके साथ ही कई नई दिक्कतें भी जन्म ले सकती हैं। संचार मंत्रालय 'टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स 2024' में बदलाव करके एक ऐसा नियम...

नेशनल डेस्क:  सरकार देश के मोबाइल यूजर्स और डिजिटल सेवाओं को साइबर ठगी से बचाने के लिए एक नया सिस्टम लागू करने की तैयारी में है, लेकिन इसके साथ ही कई नई दिक्कतें भी जन्म ले सकती हैं। संचार मंत्रालय 'टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स 2024' में बदलाव करके एक ऐसा नियम लाने जा रहा है जो भारत के लगभग 121 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं को प्रभावित कर सकता है।
 
क्या है नया सिस्टम?
-सरकार मोबाइल नंबर वैलिडेशन (MNV) के लिए पेड प्लेटफॉर्म शुरू करने की योजना में है। इसके तहत:
-बैंक, कंपनियां या अन्य संस्थान अपने ग्राहकों का नंबर वैरिफाई करवाने के लिए टेलीकॉम विभाग से संपर्क करेंगे।
-सरकारी संस्थानों को हर वैरिफिकेशन पर ₹1.50 और निजी कंपनियों को ₹3 चुकाने होंगे।
-ये नियम एप साइनअप, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और OTP से जुड़े हर प्लेटफॉर्म पर लागू हो सकता है।

लेकिन यहां है असली मुसीबत!
-यदि किसी मोबाइल नंबर को 'फेक' या संदिग्ध घोषित कर दिया गया, तो वह नंबर अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है।
-जिन परिवारों में एक ही फोन का इस्तेमाल कई सदस्य करते हैं, वे सिस्टम की नजर में संदिग्ध हो सकते हैं।
-छोटे शहरों और गांवों में, जहां एक मोबाइल पर बैंकिंग से लेकर सरकारी योजनाएं तक चलाई जाती हैं, वहां यह कदम परेशानी का सबब बन सकता है।

हर खाते के लिए अलग नंबर?
आज आप एक ही मोबाइल नंबर से कई बैंक अकाउंट चला सकते हैं। नए नियम लागू होने पर बैंक हर खाते के लिए अलग नंबर मांग सकते हैं ताकि उन्हें हर बार अलग से भुगतान न करना पड़े। इसका बोझ धीरे-धीरे आम उपभोक्ता की जेब पर भी आ सकता है।

 सबको वैरिफिकेशन जरूरी होगा?
सरकार ने इस पर अभी तक स्थिति साफ नहीं की है, लेकिन इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) का मानना है कि मसौदे में मौजूद शर्तों से हर डिजिटल सेवा प्रदाता और मोबाइल यूजर इसकी जद में आ सकते हैं।

  डिजिटल आज़ादी और निजता पर सवाल
मसौदे में जिस तरह से "टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी (TIUE)" की परिभाषा दी गई है, उससे व्यक्तिगत यूजर्स भी इस दायरे में आ सकते हैं। डिजिटल राइट्स के लिए काम करने वाली संस्था Access Now ने भी इसे प्राइवेसी और कानून के लिहाज़ से अनुचित बताया है।

 सरकार का पक्ष – सुरक्षा और राजस्व दोनों
-सरकार का मानना है कि इस कदम से साइबर क्राइम पर लगाम लगेगी।
-इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर का अनुमान है कि साल 2025 में देश को 1.02 लाख करोड़ रुपये की साइबर ठगी का खतरा है।
-साथ ही, गूगल, अमेजॉन, नेटफ्लिक्स जैसे बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म पर करोड़ों यूजर्स होने से सरकार को इससे बड़ा राजस्व भी मिल सकता है।

 अभी क्या स्थिति है?
सरकार को इस मसौदे पर लोगों की प्रतिक्रियाएं और सुझाव मिल चुके हैं।

अब देखना है कि क्या सरकार नियमों में संशोधन करेगी या इसे ज्यों का त्यों लागू किया जाएगा।
 साल दर साल साइबर ठगी का ग्राफ बढ़ता गया

साल    धोखाधड़ी की रकम (करोड़ में)
2022    ₹2,306 करोड़
2023    ₹7,465 करोड़
2024    ₹22,842 करोड़ (अब तक)

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