नो स्मार्टफोन, नो हाफ पैंट…इस राज्य में बागपत खाप पंचायत का बड़ा फैसला

Edited By Updated: 27 Dec, 2025 12:45 PM

no smartphones no half pants a major decision by the baghpat khap panchayat

उत्तर प्रदेश की बागपत खाप पंचायत एक बार फिर अपने फैसलों को लेकर चर्चा में आ गई है। पंचायत के चौधरियों ने 18 साल से कम उम्र के लड़कों और लड़कियों के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने का ऐलान किया है।

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश की बागपत खाप पंचायत एक बार फिर अपने फैसलों को लेकर चर्चा में आ गई है। पंचायत के चौधरियों ने 18 साल से कम उम्र के लड़कों और लड़कियों के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही बच्चों के शॉर्ट्स या हाफ पैंट पहनने पर भी आपत्ति जताई गई है। पंचायत का दावा है कि इस कदम से बच्चों में अनुशासन बढ़ेगा और पारिवारिक व सामाजिक मूल्यों की रक्षा होगी।

खाप पंचायत का कहना है कि स्कूलों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल पढ़ाई के उद्देश्य से किया जाता है, लेकिन घरों में इसका दुरुपयोग बढ़ रहा है। पंचायत के अनुसार मोबाइल फोन बच्चों को गलत दिशा में ले जा रहे हैं, जिससे उनकी सोच और व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इसी वजह से 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्मार्टफोन पर पूरी तरह रोक लगाने का फैसला लिया गया है।

यह फैसला राजस्थान में हाल ही में हुए एक विवादित निर्णय की याद दिलाता है। राजस्थान के जालोर जिले में पंचायत ने बेटियों और बहुओं के स्मार्टफोन इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई थी, जिसे लेकर काफी विरोध हुआ था। बढ़ते दबाव के चलते वहां पंचायत को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। इसके बावजूद बागपत खाप पंचायत का मानना है कि स्मार्टफोन बच्चों के मानसिक विकास को नुकसान पहुंचा रहे हैं और हाफ पैंट पहनना भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है।

इतना ही नहीं, खाप पंचायत ने मैरिज हॉल में होने वाली शादियों पर भी नाराजगी जताई है। पंचायत का कहना है कि विवाह समारोह घर या गांव में ही होने चाहिए, ताकि परिवारों के बीच आपसी जुड़ाव बना रहे और अनावश्यक खर्च से बचा जा सके। पंचायत के अनुसार मैरिज होम में होने वाली शादियां रिश्तों में दूरी बढ़ाती हैं और पारंपरिक सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती हैं।

खाप पंचायत के इन फैसलों को लेकर जहां कुछ लोग इसे सामाजिक अनुशासन से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं कई वर्गों में इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया जा रहा है। फैसले के बाद इलाके में बहस तेज हो गई है और लोगों की निगाहें अब प्रशासन की प्रतिक्रिया पर टिकी हुई हैं।

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