Edited By Radhika,Updated: 23 Sep, 2025 12:10 PM

आजकल की व्यस्त जीवनशैली में दिल से जुड़ी बीमारियाँ, ख़ासकर दिल का दौरा, एक आम समस्या बन गई है। पहले यह बिमारियां बुजुर्गों तक सीमित था, वहीं अब 40 साल से कम उम्र के युवाओं में भी यह तेज़ी से बढ़ रहा है।
नेशनल डेस्क: आजकल की व्यस्त जीवनशैली में दिल से जुड़ी बीमारियाँ, ख़ासकर दिल का दौरा, एक आम समस्या बन गई है। पहले यह बिमारियां बुजुर्गों तक सीमित था, वहीं अब 40 साल से कम उम्र के युवाओं में भी यह तेज़ी से बढ़ रहा है। आमतौर पर इसका कारण हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, ग़लत खान-पान और हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। एक नई रिसर्च ने एक और चौंकाने वाली वजह का ख़ुलासा किया है- मुँह के बैक्टीरिया।
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रिसर्च में मिला चौंकाने वाला सबूत
एक जर्नल में पब्लिशन हुई एक स्टडी ने इस बात की पुष्टि की है कि मुँह से निकलने वाले बैक्टीरिया, खासकर विरिडांस स्ट्रेप्टोकोकी (Viridans streptococci) सीधे तौर पर दिल का दौरा पड़ने का कारण बन सकते हैं। फिनलैंड और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च की, जिसमें 121 ऐसे लोगों की आर्टरीज़ (धमनियों) में जमे प्लाक की जाँच की गई, जिनकी अचानक मौत हो गई थी। इसके अलावा उन्होंने सर्जरी करा चुके 96 मरीज़ों के भी सैंपल्स की भी स्टडी की है।

इन सैंपल्स की जाँच में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। लगभग आधे मामलों में दिल के प्लाक में मुँह के बैक्टीरिया का DNA पाया गया। इनमें सबसे आम विरिडांस स्ट्रेप्टोकोकी था, जो 42% दिल के प्लाक और 43% सर्जिकल सैंपल्स में मौजूद था।
बैक्टीरिया कैसे बनते हैं हार्ट अटैक का कारण?
वैज्ञानिकों के अनुसार मुँह के बैक्टीरिया खून के ज़रिए दिल की आर्टरीज़ में पहुँच सकते हैं और वहाँ जमा हुई वसा की परतों (प्लाक) में छिप जाते हैं। ये बैक्टीरिया धीरे-धीरे एक चिपचिपी परत (बायोफिल्म) बना लेते हैं, जिससे हमारा इम्यून सिस्टम उन्हें पहचान नहीं पाता। जब यह प्लाक किसी वजह से फटता है, तो बैक्टीरिया और उनके टुकड़े बाहर आ जाते हैं।
इसके बाद हमारा इम्यून सिस्टम तुरंत एक्टिव हो जाता है और सूजन पैदा करता है। यही सूजन आर्टरीज़ की दीवारों को कमज़ोर बनाती है, जिससे उनके फटने और दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा बहुत बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि विरिडांस स्ट्रेप्टोकोकी नामक बैक्टीरिया एक ख़ास रास्ते को सक्रिय करता है, जिससे आर्टरीज़ में सूजन और भी ज़्यादा बढ़ जाती है।

अपने मुँह को साफ़ रखना क्यों है ज़रूरी?
यह रिसर्च साफ़ तौर पर दिखाती है कि आपके दाँतों और मसूड़ों की सेहत का सीधा संबंध आपके दिल से है। मुँह की सही देखभाल करके आप दिल के दौरे के ख़तरे को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।
मुँह की सेहत का ध्यान कैसे रखें?
- दिन में दो बार दो मिनट तक अपने दाँतों को अच्छी तरह ब्रश करें।
- अपनी जीभ को साफ़ करें और दाँतों के बीच से गंदगी निकालने के लिए फ्लॉस या वॉटर फ्लॉसर का इस्तेमाल करें।
- मीठे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों का सेवन कम से कम करें।
- हर 3-4 महीने में अपना टूथब्रश बदलें।
- साल में कम से कम एक बार अपने डेंटिस्ट से मिलें।
- तंबाकू से बने उत्पादों का पूरी तरह से परहेज करें।
- अगर आपको मसूड़ों से खून आने, दर्द या सूजन जैसी समस्या हो, तो तुरंत डेंटिस्ट से संपर्क करें।