Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Jul, 2025 12:56 PM
बीते बुधवार को इंडिगो की एक फ्लाइट दिल्ली से गोवा के लिए उड़ान भर रही थी लेकिन तकनीकी खराबी के चलते उसे अचानक मुंबई एयरपोर्ट पर उतारना पड़ गया। दरअसल उड़ान के दौरान फ्लाइट के इंजन नंबर 1 में खराबी आ गई थी जिसके कारण उसकी आपातकालीन लैंडिंग करानी...
नेशनल डेस्क। बीते बुधवार को इंडिगो की एक फ्लाइट दिल्ली से गोवा के लिए उड़ान भर रही थी लेकिन तकनीकी खराबी के चलते उसे अचानक मुंबई एयरपोर्ट पर उतारना पड़ गया। दरअसल उड़ान के दौरान फ्लाइट के इंजन नंबर 1 में खराबी आ गई थी जिसके कारण उसकी आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी। इस दौरान पायलट ने सूझबूझ का परिचय देते हुए 'मेडे' (Mayday) की जगह 'पैन-पैन' (Pan-Pan) सिग्नल जारी किया जिससे सैकड़ों यात्रियों की जान बच गई। अब यह सवाल उठता है कि ये दोनों सिग्नल कब और क्यों जारी किए जाते हैं।
पायलट ने क्यों बोला 'पैन-पैन'?
जब इंडिगो की फ्लाइट को मुंबई में इमरजेंसी में उतारना पड़ा उस वक्त पायलट 'मेडे-मेडे' की जगह 'पैन-पैन-पैन' चिल्लाने लगा। इंडिगो के पायलट ने यह सिग्नल इसलिए जारी किया था क्योंकि उड़ान के दौरान इंजन में गंभीर तकनीकी खराबी आ गई थी। 'पैन-पैन-पैन' एक अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन रेडियो सिग्नल है जो गंभीर तकनीकी खराबी को दर्शाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि स्थिति बहुत गंभीर और जानलेवा है। विमान के एक इंजन में खराबी की वजह से पायलट ने मुंबई हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग के लिए अनुरोध किया और तभी पैन-पैन सिग्नल जारी किया। भले ही यह सिग्नल 'मेडे' से कम गंभीर हो लेकिन यह एक महत्वपूर्ण तकनीकी खराबी को ज़रूर दिखाता है जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
यह भी पढ़ें: "बाबू-बाबू मिल लो ना एक बार" थानेदार पर छाया आशिकी का भूत, थाने पहुंची महिला बोली- 'साहब' आपके वो गंदे-गंदे...
'मेडे' कब चिल्लाता है पायलट?
'मेडे' कॉल पायलट तब करता है जब जान को सीधा खतरा होता है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है और इसका इस्तेमाल अत्यधिक गंभीर इमरजेंसी में किया जाता है। 'मेडे' शब्द फ्रांसीसी शब्द 'मैदे' (M’aider) से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ 'मेरी मदद करो' होता है। इस शब्द को पायलट रेडियो कम्युनिकेशन के ज़रिए बोलता है।
'मेडे' कॉल करते समय पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को बताता है कि जान को खतरा है, कौन सा विमान है, उसमें क्या खराबी हो रही है, कितने लोग हैं, विमान की लोकेशन क्या है और किस तरह की मदद चाहिए। 'मेडे' कॉल की नौबत तब आती है जब जान पर वास्तविक खतरा बन आता है। बहुत ज़्यादा खराब मौसम होने या फ्लाइट में बम की सूचना होने जैसी स्थितियों में भी यह कॉल किया जाता है।
यह भी पढ़ें: Rain Alert: 17 से 20 जुलाई तक बिगड़ेगा मौसम, होगी भारी बारिश, IMD ने जारी की चेतावनी, संभल जाएं ये राज्य
लगातार फ्लाइट्स में आ रहीं खामियां
हाल के दिनों में विमानों में तकनीकी खराबी की कई खबरें सामने आई हैं खासकर अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के बाद से। इससे पहले भी एक अन्य घटना में दिल्ली से आई इंडिगो की 173 यात्रियों से भरी एक फ्लाइट पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरने के तुरंत बाद फिर से उड़ान भर गई थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पायलट को एहसास हुआ कि विमान के पास धीमा होने के लिए रनवे पर पर्याप्त जगह नहीं है। कुछ देर आसमान में चक्कर लगाने के बाद पायलट ने विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराई।
यह घटना दर्शाती है कि पायलट की सूझबूझ और सही आपातकालीन सिग्नल का उपयोग कैसे बड़े हादसों को टाल सकता है।