'भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश धकेला जा रहा'- बंगाली मुस्लिमों की हिरासत पर ओवैसी का तीखा हमला

Edited By Updated: 26 Jul, 2025 06:37 PM

owaisi attacks the government over the arrest of bengali speaking muslims

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाली भाषा बोलने वाले मुस्लिमों को हिरासत में लेने के मामले में केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रशासन बंगाली भाषी मुस्लिमों को गलत तरीके से "अवैध आप्रवासी" बता रहा है और उन्हें निशाना...

नेशनल डेस्क: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाली भाषा बोलने वाले मुस्लिमों को हिरासत में लेने के मामले में केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रशासन बंगाली भाषी मुस्लिमों को गलत तरीके से "अवैध आप्रवासी" बता रहा है और उन्हें निशाना बना रहा है। ओवैसी का यह बयान पुणे में पाँच बांग्लादेशी महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद आया है।

बंगाली भाषी मुस्लिमों की गिरफ्तारी पर ओवैसी का सरकार पर हमला-  

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाली भाषा बोलने वाले मुस्लिमों को हिरासत में लेने के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन बंगाली भाषी मुस्लिमों को बेवजह "अवैध आप्रवासी" करार देकर हिरासत में ले रहा है। ओवैसी ने इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार गरीबों के साथ सख्ती बरत रही है, जबकि ताकतवर लोगों के सामने नरमी दिखा रही है।

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भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश में धकेला जा रहा है

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट लिखकर दावा किया कि जिन लोगों को अवैध अप्रवासी घोषित किया जा रहा है, उन्हें बार-बार निशाना बनाया जा रहा है। इसका कारण यह है कि उनके पास पुलिस के अत्याचारों को चुनौती देने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। ओवैसी ने अपनी पोस्ट में चिंता व्यक्त करते हुए लिखा, "भारतीय नागरिकों को बंदूक की नोक पर बांग्लादेश में धकेले जाने की खबरें परेशान करने वाली हैं।"

ओवैसी ने पुलिस कार्रवाई को बताया अवैध

असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे अवैध बताया। उन्होंने दावा किया, "भारत के अलग-अलग हिस्सों में बंगाली बोलने वाले मुस्लिम नागरिकों को पुलिस अवैध रूप से हिरासत में ले रही है और उन पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगा रही है। जिन लोगों पर अवैध प्रवासी होने का आरोप लगाया जाता है, उनमें से अधिकतर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, सफाईकर्मी, घरेलू काम करने वाले, कूड़ा उठाने वाले लोग शामिल हैं।" ओवैसी ने कहा कि ऐसे लोगों को बार-बार इसलिए निशाना बनाया जाता है क्योंकि वे पुलिस के अत्याचारों का विरोध करने की स्थिति में नहीं होते।

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ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के एक आधिकारिक आदेश की तस्वीर भी साझा की। इस आदेश में कहा गया था कि राज्य सरकार ने बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं को वापस भेजने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया लागू की है। ओवैसी ने तर्क दिया, "पुलिस के पास किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए हिरासत में लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह एक खास भाषा बोलता है। पुलिस ने इस तरह से जितने भी लोगों को हिरासत में लिया है, वह अवैध है।"

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पुणे में 5 महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद आया ओवैसी का बयान

AIMIM चीफ ओवैसी का यह बयान पुणे शहर पुलिस की ओर से बुधवार को पाँच बांग्लादेशी महिलाओं को गिरफ्तार किए जाने के बाद आया है। जांच एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक विशेष सूचना पर कार्रवाई करते हुए फरासखाना पुलिस स्टेशन और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) के अधिकारियों ने छापेमारी की थी।

गिरफ्तार की गईं ये महिलाएँ 20 से 28 साल की उम्र की थीं और वे बिना वैध दस्तावेजों तथा फर्जी पहचान पत्रों के साथ भारत में रह रही थीं। पुलिस की जांच में पता चला कि ये महिलाएँ बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसी थीं और खुद को पश्चिम बंगाल की निवासी बताकर पुणे में कथित तौर पर रह रही थीं। इसी घटना के बाद ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोला है।

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