Special Report: पहलगाम अटैक पर चीन-पाकिस्तान की मिलीजुली प्रतिक्रिया संयोग या साजिश ! 24 घंटे बाद क्यों जागे "दोस्त" ?

Edited By Updated: 23 Apr, 2025 02:34 PM

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जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी चिंता पैदा कर दी ...

International Desk (तनुजा तनु) : जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी चिंता पैदा कर दी है। इस हमले में 28 से अधिक निर्दोष पर्यटकों की क्रूर हत्या ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। लेकिन इस त्रासदी से भी अधिक चिंताजनक बात यह रही कि दोनों "जिगरी दोस्तों" पाकिस्तान और चीन की प्रतिक्रिया 24 घंटे बाद एक ही दिन कुछ अंतराल में सामने आई और उनके बयानों की भाषा भी मिलती-जुलती रही। क्या यह केवल संयोग है या किसी गहरी साजिश की ओर संकेत करता है?

 

हमले का समय और तरीका 
शाम को जब अधिकांश पर्यटक बैसरन घाटी की सैर कर रहे थे, तभी आतंकियों ने अचानक हमला किया। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने पीड़ितों से धर्म पूछकर निशाना बनाया। जो लोग 'कलमा' नहीं पढ़ पाए, उन्हें मौके पर ही गोली मार दी गई। हमले की जिम्मेदारी The Resistance Front (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा संगठन है।

 

चीन का बयान: वक्त और मंशा पर सवाल
हमले के पूरे 24 घंटे बाद चीन के भारत में राजदूत शू फेइहांग ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा:"हम पहलगाम हमले से स्तब्ध हैं। आतंकवाद की निंदा करते हैं और पीड़ितों के परिवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हैं।" इसमें भले ही कूटनीतिक शब्दों का इस्तेमाल किया गया हो, लेकिन भारत को आतंकवाद का शिकार कहने से परहेज़ किया गया।

 

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: निंदा कम, राजनीति ज़्यादा
पाक विदेश मंत्रालय ने कहा:"हम पर्यटकों के मारे जाने से चिंतित हैं और पीड़ित परिवारों के साथ संवेदना रखते हैं।" लेकिन उसी दिन पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी चैनल पर कहा:"भारत में मुसलमानों, ईसाइयों और बौद्धों का शोषण हो रहा है। यह हमला उनके खिलाफ हो रही बगावत का प्रतीक है। इसका पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं।"उन्होंने इसे बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ते हुए भारत पर आतंक को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया।

 

जांच एजेंसियों की नजर  
भारतीय खुफिया एजेंसियों को शक है कि इस हमले की साजिश सीमा पार से रची गई थी। LeT का कमांडर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद और रावलकोट के आतंकी अबू मूसा के नाम सामने आ रहे हैं। हमले के पीछे 6 से अधिक आतंकियों के शामिल होने की आशंका है। जहां भारत इस दर्दनाक हमले के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए प्रयासरत है, वहीं चीन और पाकिस्तान की 'संयोजित' प्रतिक्रियाएं एक बड़ी कूटनीतिक चाल की ओर इशारा कर रही हैं। दोनों देशों ने एक तरह से हमले की आड़ में भारत के अंदरूनी मामलों पर सवाल उठाए और आतंकवाद की स्पष्ट निंदा करने से बचते दिखे। 

  

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