पहलगाम नरसंहार: आतंकियों ने पहले की रेकी, फूड स्टॉल को बनाया अपना अड्डा और फिर 30 मिनट में कर दी मौत की बारिश...

Edited By Updated: 29 Apr, 2025 12:32 PM

pahalgam massacre terrorists did a recce beforehand

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों के भीषण नरसंहार के एक हफ्ते बाद जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि आतंकियों ने हमले से पहले बैसरन घाटी की रेकी की थी और वे 22 अप्रैल को हमला करने से पहले हथियारों के साथ मौके का इंतजार कर...

नेशनल डेस्क। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों के भीषण नरसंहार के एक हफ्ते बाद जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि आतंकियों ने हमले से पहले बैसरन घाटी की रेकी की थी और वे 22 अप्रैल को हमला करने से पहले हथियारों के साथ मौके का इंतजार कर रहे थे। खुफिया जानकारी के अनुसार खराब मौसम के कारण आतंकी अपने नापाक मंसूबों को दो दिन पहले अंजाम नहीं दे पाए थे।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी को चश्मदीदों ने बताया कि 22 अप्रैल को दोपहर करीब 2:30 बजे दो आतंकी खाने के स्टॉल के पीछे छिपे थे। वे अचानक उठे और दुकानों पर नाश्ता कर रहे पर्यटकों से उनका धर्म पूछने लगे। इसके कुछ ही मिनटों में उन्होंने चार लोगों को गोली मार दी। शुरुआती जांच में यह माना जा रहा था कि आतंकी आसपास के पहाड़ों से उतरकर आए और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

30 मिनट की मौत की बारिश

आतंकियों ने करीब 30 मिनट तक लगातार गोलीबारी की। चश्मदीदों के मुताबिक वे लोगों से कलमा पढ़ने को कह रहे थे ताकि उनकी धार्मिक पहचान की जा सके। इसके बाद उन्होंने 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी। मरने वालों में ज्यादातर हिंदू पुरुष, एक कश्मीरी टट्टू संचालक और एक नेपाली नागरिक शामिल थे।

 

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NIA अधिकारियों के अनुसार यह हमला कोई अंधाधुंध फायरिंग नहीं थी बल्कि हमलावरों ने हर पीड़ित को निशाना बनाकर सिर में गोली मारी थी। जब पहले दो आतंकियों ने चार लोगों को सिर में गोली मारी तो वहां भगदड़ मच गई। उसी दौरान दो और आतंकी ज़िप लाइन के पास से निकले और भाग रहे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे।

रेकी और मौसम का खूनी इंतजार

खुफिया एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने अप्रैल के पहले हफ्ते में ही पहलगाम के होटलों की रेकी कर ली थी। NIA अब स्थानीय लोगों से गहन पूछताछ कर रही है और होटलों के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाल रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि 20 और 21 अप्रैल को भारी बारिश हुई थी जिसके चलते 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में करीब 5,000 से ज्यादा पर्यटक मौजूद थे। एजेंसी इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या आतंकियों ने इतनी बड़ी भीड़ का इंतजार किया और सही मौका देखकर हमला किया।

 

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ज़िप-लाइन ऑपरेटर पर भी शक की सुई

NIA एक ज़िप-लाइन ऑपरेटर से भी पूछताछ कर रही है जिसका एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में वह फायरिंग शुरू होने से ठीक पहले ‘अल्लाह हू अकबर’ कहता हुआ सुना गया है। यह वीडियो पर्यटक ऋषि भट्ट ने रिकॉर्ड किया था जिन्होंने बताया कि ऑपरेटर का व्यवहार बेहद संदिग्ध था। भट्ट ने कहा, ‘मेरे आगे सात लोग थे लेकिन उसने सिर्फ मुझे धक्का दिया और ‘अल्लाह हू अकबर’ कहा और इधर-उधर देखने लगा। उसके तुरंत बाद ही गोलीबारी शुरू हो गई।’ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेटर से पहले भी पूछताछ की गई है और फिलहाल उसकी भूमिका की जांच जारी है। अभी किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।

इसके अलावा एक स्थानीय वीडियोग्राफर भी अब NIA के लिए एक महत्वपूर्ण गवाह बन गया है। वह बैसरन में पर्यटकों के वीडियो बनाता था और उसने इस पूरे हमले की घटना को अपने कैमरे में कैद कर लिया था। NIA ने उससे पूछताछ की है और उसके बनाए वीडियो का विश्लेषण कर आतंकियों और संभावित मददगारों (OGWs) की पहचान करने की कोशिश कर रही है।

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