अयोध्या में राम मंदिर को भव्यता प्रदान करेंगे ‘पंचदेव मंदिर', वनवास काल की विभूतियों को मिलेगा स्थान

Edited By Yaspal,Updated: 09 Apr, 2023 04:36 PM

panchdev mandir  will provide grandeur to ram mandir in ayodhya

अयोध्या में निर्माणाधीन राममंदिर को भव्यता प्रदान करने के लिए परिसर में गणेश, हनुमान, सूर्य, मां भवानी और महादेव के ‘पंचदेव मंदिर' के साथ-साथ श्रीराम के वनवासकाल की चर्चित विभूतियों, यथा-जटायू, माता शबरी, निषादराज, को भी स्थान मिलेगा

नई दिल्लीः अयोध्या में निर्माणाधीन राममंदिर को भव्यता प्रदान करने के लिए परिसर में गणेश, हनुमान, सूर्य, मां भवानी और महादेव के ‘पंचदेव मंदिर' के साथ-साथ श्रीराम के वनवासकाल की चर्चित विभूतियों, यथा-जटायू, माता शबरी, निषादराज, को भी स्थान मिलेगा। रामनवमी के अवसर पर रामलला की प्रतिमा पर सूर्य की किरणें सीधी पहुंचे, इसके लिए अंतरिक्ष विभाग एवं अन्य संस्थाओं के वैज्ञानिकों के साथ काम किया जा रहा है और इसके अनुरूप यह भी तय किया जा रहा है कि मूर्ति की ऊंचाई क्या होगी।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया, ‘‘पंचदेव मंदिर की नींव पड़ चुकी है। इसका निर्माण प्रथम चरण में ही किया जायेगा, ताकि श्रद्धालु भगवान राम की अर्चना करने के बाद पंचदेवों का दर्शन एवं परिक्रमा करके विधिवत रूप से अपनी पूजा पूरी कर सकें।'' उन्होंने बताया कि पंचदेव मंदिर का निर्माण परकोटे में किया जायेगा, जिसमें भगवान सूर्य के अलावा गणेश, मां भवानी, भगवान शंकर, हनुमान जी के मंदिर स्थापित होंगे तथा रामलला की रसोई में उत्तर दिशा में मां अन्नपूर्णा के विग्रह की स्थापना होगी।

चौपाल ने बताया कि मंदिर निर्माण के दूसरे एवं तीसरे चरण में ऋषि अगस्त्य, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि और देवी अहिल्या के अलावा वनवास के दौरान भगवान राम के संपर्क में आई विभूतियों, यथा- जटायू, माता शबरी, निषादराज को भी जगह मिलेगी, जिनका निर्माण कार्य 2025 तक पूरे होने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए एक ‘मास्टर प्लान' को अंतिम रूप दिया गया है।

न्यास के एक अन्य सदस्य परमानंद गिरि जी महाराज ने मंदिर निर्माण की प्रगति के बारे में बताया कि राम मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है और दिसंबर 2023 तक प्रथम चरण का निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा। उन्होंने बताया कि इसके बाद जनवरी 2024 में जब सूर्य उत्तरायण में होगा, तब किसी शुभ तिथि को गर्भगृह में रामलला की ‘प्राण प्रतिष्ठा' की जायेगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के एक अन्य न्यासी ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण में आते हैं, ऐसे में आचार्यों और ज्योतिषियों से परामर्श करके शुभ मुहूर्त तय किया जायेगा, जो जनवरी के तीसरे या चौथे सप्ताह का हो सकता है। उन्होंने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूतल के खम्भों के ऊपर बीम रखने का कार्य प्रारम्भ हो गया है और कुछ बीम रख भी दिये गये हैं।

वहीं, चौपाल ने बताया कि राम मंदिर में करीब 400 खम्भे होंगे, जिनमें भूतल पर करीब 160 खम्भे और प्रथम तल पर 132 खम्भे होंगे। उन्होंने बताया, ‘‘खम्भे का निर्माण काफी महीन एवं जटिल काम है, क्योंकि प्रत्येक खम्भे पर 14-16 मूर्तियों को उकेरा जा रहा है।'' चौपाल ने बताया कि रामनवमी पर रामलला की प्रतिमा पर सूर्य की किरणें सीधी पहुंचे, इसके लिए अंतरिक्ष विभाग एवं अन्य संस्थाओं के वैज्ञानिकों के साथ काम किया जा रहा है और इसके अनुरूप यह भी तय किया जा रहा है कि मूर्ति की ऊंचाई क्या होगी। उन्होंने कहा कि रामनवमी आमतौर पर मार्च के अंत में होता है, ऐसे में यह देशभर के श्रद्धालुओं के लिए सुंदर अवसर रहेगा।

न्यास के एक अन्य सदस्य ने बताया कि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के दरवाजों के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर की श्रेष्ठतम सागवान लकड़ी का चयन किया गया है। इन लकड़ियों को पूजन के पश्चात अयोध्या के लिए रवाना कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए एक वृहद सुविधा केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जिसमें पांच हजार लोगों के लिए क्लॉकरूम की व्यवस्था होगी और पेयजल एवं शौचालय की सुविधा भी होगी।

 

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