Edited By Shubham Anand,Updated: 08 Nov, 2025 04:23 PM

पटना के बांकीपुर में मतदान के दौरान समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी का वीडियो सामने आया, जिसमें उनके दोनों हाथों की उंगलियों पर स्याही के निशान दिखे। कांग्रेस का कहना है कि इससे दो बार वोट डालने की आशंका है। भारत के चुनाव कानून के अनुसार, दो जगह से...
नेशनल डेस्क : पटना के बांकीपुर में मतदान के दौरान समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी का एक वीडियो सामने आया है, जिसने चुनावी हलकों में नई गर्मी पैदा कर दी है। कांग्रेस का दावा है कि वीडियो में सांसद के दोनों हाथों की उंगलियों पर स्याही के निशान दिखाई दे रहे हैं, जिससे दो बार वोट डालने की आशंका पैदा होती है। चुनाव के दौरान एक वोट की कीमत तो सभी जानते हैं, लेकिन अगर कोई व्यक्ति दो बार वोट डाल दे तो यह भारतीय कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता है।
दो बार वोट डालना गंभीर अपराध है
भारत के संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार, हर नागरिक को केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र में और एक ही बार मतदान करने का अधिकार है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या धोखे से दो बार वोट डालता है, तो यह धारा 62(4) और धारा 31 के अंतर्गत अपराध माना जाता है। यह नियम केवल मतदान के दिन ही नहीं, बल्कि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के समय भी लागू होता है। अगर किसी व्यक्ति का नाम दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में पाया जाता है, तो यह भी अपराध है।
कानूनी सजा
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 के अनुसार, जो व्यक्ति जानबूझकर अपने नाम को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज कराता है या दो जगह से मतदान करता है, उसे अपराधी माना जाएगा। इस अपराध के लिए अधिकतम छह महीने की कैद या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। जानबूझकर दो बार वोट डालने पर जेल की सजा और आर्थिक दंड दोनों भुगतने पड़ सकते हैं।
कैसे साबित होता है अपराध
चुनाव आयोग के पास ईवीएम और वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन सिस्टम हैं, जिनके जरिए ऐसे मामलों को पकड़ने का प्रावधान है। अगर किसी व्यक्ति के नाम, पहचान पत्र या फिंगरप्रिंट में दोहराव पाया जाता है, तो उसे डुप्लिकेट वोटर घोषित किया जा सकता है। ऐसे मामलों में जिला निर्वाचन अधिकारी या पुलिस के जरिए एफआईआर दर्ज की जाती है। मतदान के दौरान किसी को बार-बार वोट डालते पकड़ा जाए तो उसे वहीं से हिरासत में लिया जा सकता है।
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर दो बार वोट डालता है, तो यह आपराधिक इरादा माना जाएगा और सजा पक्की होगी। वहीं, गलती से ऐसा होने पर, जैसे नाम दो जगह दर्ज रह जाना और व्यक्ति को इसकी जानकारी न होना, तो चुनाव अधिकारी मामले की जांच कर चेतावनी देकर मामला बंद कर सकते हैं। डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम के कारण ऐसे मामलों की संभावना अब बहुत कम रह गई है।
चुनाव आयोग की सख्ती
भारतीय चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि एक व्यक्ति का एक वोट लोकतंत्र की मूल आत्मा है। इसे तोड़ना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोकतंत्र के विश्वास के साथ भी धोखा है। आयोग ऐसे मामलों में गंभीरता से कार्रवाई करता है और आवश्यक कानूनी कदम उठाता है।