5 साल तक घर बैठी मिलती रही सैलरी... सरकारी अफसर ने अपनी ही पत्नी को दिलाई फर्जी नौकरी, खुद करता था सैलरी पर साइन!

Edited By Updated: 28 Oct, 2025 03:07 PM

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राजस्थान की राजधानी जयपुर से भ्रष्टाचार की एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने सरकारी सिस्टम की सच्चाई को उजागर कर दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (DOIT) के संयुक्त निदेशक प्रद्युम्न दीक्षित पर आरोप है कि उन्होंने अपनी ही पत्नी पूनम दीक्षित...

नेशनल डेस्क: राजस्थान की राजधानी जयपुर से भ्रष्टाचार की एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने सरकारी सिस्टम की सच्चाई को उजागर कर दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (DOIT) के संयुक्त निदेशक प्रद्युम्न दीक्षित पर आरोप है कि उन्होंने अपनी ही पत्नी पूनम दीक्षित उर्फ पूनम पांडे को दो निजी कंपनियों में फर्जी नियुक्ति दिलाकर 5 साल तक वेतन दिलाया - वो भी बिना एक दिन ड्यूटी किए।

घर बैठे 1.60 लाख रुपये महीना!
ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) की जांच में सामने आया कि पूनम दीक्षित को हर महीने करीब 1.60 लाख रुपये वेतन के रूप में दिए जाते थे। जनवरी 2019 से सितंबर 2020 तक उसके 5 बैंक खातों में कुल 37.54 लाख रुपये जमा किए गए। सबसे हैरान करने वाली बात - इन वेतन बिलों पर हस्ताक्षर खुद उसके पति प्रद्युम्न दीक्षित के ही थे।

दो कंपनियों में एक साथ नियुक्ति
जांच में खुलासा हुआ कि दीक्षित ने अपनी पत्नी को AurionPro Solutions Limited और Trigent Software Pvt. Ltd. में “कर्मचारी” दिखाया था। ये दोनों कंपनियां सरकारी ठेके से जुड़ी हुई थीं, और दिलचस्प बात यह कि इन्हीं कंपनियों को दीक्षित के विभाग से फायदे भी दिलवाए गए। यानी सरकारी ठेके भी पत्नी की फर्जी नौकरी वाली कंपनियों को मिले, और वेतन भी सरकारी प्रभाव से।

कभी ऑफिस नहीं पहुंची ‘कर्मचारी’
पूनम दीक्षित को कभी भी ड्यूटी पर जाते नहीं देखा गया। विभाग के रिकॉर्ड्स में भी उसकी उपस्थिति का कोई सबूत नहीं मिला। फिर भी हर महीने उसके खाते में वेतन पहुंचता रहा - जैसे कि सब कुछ बिल्कुल 'सिस्टम के हिसाब' से चल रहा हो।

गुप्त शिकायत से खुली परतें
ACB को इस घोटाले की जानकारी एक गुमनाम शिकायत से मिली थी। जांच में जब दस्तावेज़ खंगाले गए तो पाया गया कि हर वेतन बिल पर प्रद्युम्न दीक्षित के हस्ताक्षर हैं। जांच ने न केवल अफसर-पत्नी की भूमिका उजागर की बल्कि विभाग के उपनिदेशक राकेश कुमार का नाम भी सामने आया, जिन पर इस भ्रष्टाचार में सहयोग का आरोप है।

कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई
इस घोटाले की शिकायत राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका के रूप में दायर की गई थी। कोर्ट ने सितंबर 2024 में ACB को केस दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे। ACB ने आदेश के बाद 3 जुलाई 2025 को परिवाद दर्ज किया। लंबी जांच के बाद, जब कंपनियों और बैंक खातों की लेन-देन की जानकारी सामने आई, तो 17 अक्टूबर 2025 को इस प्रकरण में FIR दर्ज की गई।

 

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