Edited By Mansa Devi,Updated: 05 Dec, 2025 12:51 PM

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कहा है कि भारत और रूस की बढ़ती साझेदारी का मकसद किसी तीसरे देश को निशाना बनाना नहीं है। चाहे वह अमेरिका ही क्यों न हो। भारत यात्रा से पहले क्रेमलिन में इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में उन्होंने दोनों देशों के...
नेशनल डेस्क: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कहा है कि भारत और रूस की बढ़ती साझेदारी का मकसद किसी तीसरे देश को निशाना बनाना नहीं है। चाहे वह अमेरिका ही क्यों न हो। भारत यात्रा से पहले क्रेमलिन में इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में उन्होंने दोनों देशों के संबंध, अमेरिकी नीतियों और ट्रंप के हालिया बयानों पर खुलकर जवाब दिए।
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी पर पुतिन का जवाब
जब पुतिन से पूछा गया कि भारत और रूस, डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से कैसे निपटें, तो उन्होंने कहा कि ट्रंप अपने सलाहकारों की राय पर चलते हैं और अमेरिका की अर्थव्यवस्था के हित में फैसले लेते हैं। पुतिन ने कहा कि यह अमेरिका का आंतरिक आर्थिक मॉडल है, लेकिन रूस ऐसी नीतियों में भरोसा नहीं करता।
उन्होंने जोड़ा, “हर देश को अपनी आर्थिक नीति चुनने का अधिकार है। हमने ऐसी प्रथाएँ न पहले अपनाईं, न आगे कोई योजना है। हमारी अर्थव्यवस्था खुली है और उम्मीद है कि WTO के नियमों का जो उल्लंघन हुआ है, वह ठीक किया जाएगा।”
भारत–रूस सहयोग किसी के खिलाफ नहीं
‘Make in India, Make With Russia’ पहल पर ट्रंप की संभावित प्रतिक्रिया से जुड़े सवाल पर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी और अपने बारे में कहा: न मैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी हम कभी किसी देश के खिलाफ मिलकर काम नहीं करते। हम अपने हितों की रक्षा करते हैं, न कि किसी और को नुकसान पहुँचाने के लिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का सहयोग सकारात्मक उद्देश्यों पर आधारित है और दुनिया के अन्य नेता भी इसे अच्छी तरह समझते हैं।
भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने पर ट्रंप की आलोचना—पुतिन ने दिया करारा जवाब
हाल ही में ट्रंप ने कहा था कि भारत रूस से तेल खरीदकर ‘युद्ध को फंड’ कर रहा है। इस पर पुतिन ने चुनावी राजनीति का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे बयान पर टिप्पणी करना उनका काम नहीं है। ऊर्जा आयात के मुद्दे पर उन्होंने एक बड़ा तथ्य सामने रखा अमेरिका खुद रूस से परमाणु ईंधन खरीदता है। उनके न्यूक्लियर प्लांट्स में जो यूरेनियम इस्तेमाल होता है, उसमें से बहुत सा रूस से आता है। अगर अमेरिका खरीद सकता है, तो भारत क्यों नहीं?